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शनि हमारे सौरमंड के ग्रहों में से सबसे ज्यादा रहस्यमय ग्रह है। यह कई तरह के रहस्यों के भरा पड़ा है। सबसे बड़ा रहस्य तो शनि ग्रह की आकृति है। इसकी संरचना बहुत ही रहस्यमय है। खगोलविदों में भी कौतूहल बना हुआ है। शनि ग्रह के छल्लों के अलावा भी बहुत कुछ ऐसा है जो ग्रह को बहुत ही खास बनाता है। वैसे तो सौरमंडल में मैग्नेटिक फील्ड भी इसे बहुत खास ग्रह बनाती है।
शनि की घूर्णन धुरी के समान ही यह मैग्नेटिक धुरी बहुत सुडौल है। नासा के कसीनी अभियान ने इसके अध्ययन के लिए बहुत सारे आंकड़े दिए हैं। शनि का मैग्नेटोस्फियर के होने की वजह से शनि के अंदर है। कसीनी के आंकड़े यह बताते हैं कि शनि की मैग्नेटोस्फियर स्थिति कैसे बनी। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की ग्रहविज्ञानी सैबाइन स्टेनली ने बताया कि शनि ग्रह का निर्माण हमारे सौरमंडल कैसे हुआ और ऐसा और ग्रहों में क्यों नहीं है।

जानकारी के लिए बता दें कि ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड आमतरौ पर ग्रहों के अंदर से पैदा होते हैं। यह एक घूमते रहने वाली विद्युत सुचालक तरल पदार्थ की वजह से होता है जो गतिक ऊर्जा को चुंबकीय ऊर्जा में बदता रहता है, इसे डायनामो कहते हैं। शनि की गहराई में 20 हजार किलोमीटर नीचे एक तरह से एक्सरे तस्वीर देखने को मिली। इसके साथ ही ग्रह के 70 प्रतिशत त्रिज्या पर हीलियम की बारिश ने उनके कसीनी अवलोकनों को फिर से पैदा करने में सहायता की।
तापमान और दबाव शनि के भीतर है उन हालातों में हाइड्रोजन और हीलीयम तरल हो जाते हैं और साथ ही नीचे की ओर हीलियम अलग हो जाता है और एक स्थिर परत बन जाती है जिससे उसकी बारिश होने लगती है और वह क्रोड़ की ओर जाने लगता है। यही वजह है कि शनि का आंतरिक हिस्सा उम्मीद से ज्यादा गर्म हो सकता है। लेकिन अभी तक कोई भी अंतरिक्ष विमान यहां नहीं पहुंचा है।
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