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दो दशक पहले इस बात की खोज की गई थी कि मंगल ग्रह पर बेहद डरावनी और घिनौनी 'मकड़ियां' हैं। लेकिन रहस्य से पर्दा अब उठा है। मंगल पर मकड़ियों जैसी आकृतियां बनी हैं। ये तब नजर आती हैं, जब आप मंगल ग्रह के दक्षिणी ध्रुव की तरफ की तस्वीरें देखते हैं या सैटेलाइट्स द्वारा ली गई फोटो को देखते हैं।
मकड़ियों जैसी आकृतियों को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि ये कई शाखाओं वाली आकृतियां हैं। इन्हें वैज्ञानिक एरेनीफॉर्म्स (Araneiforms) कहते हैं। एरेनीफॉर्म्स का मतलब होता है स्पाइडर जैसा यानी मकड़ी जैसा। आमतौर पर इनका केंद्र गहरे रंग का होता है। काले या भूरे रंग का। जबकि शाखाएं हल्के रंग की होती हैं।
वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में मंगल ग्रह की मकड़ियों वाली आकृति को विकसित करने में सफलता पाई है। उन्होंने कार्बन डाईऑक्साइड आइस यानी जिसे ड्राई आइस का स्लैब लिया। एक मशीन बनाई जो मंगल के वायुमंडल की नकल करता है। जब ठंडी बर्फ मंगल ग्रह के गर्म मिट्टी से टकराती है तो वह तेजी से सॉलिड से गैस बनने लगता है।
कठोर बर्फ से गैस बनने की प्रक्रिया के दौरान जो दरारें बनती हैं। जो उभार बनते हैं। ये मकड़ियों जैसी आकृतियां बनाती है। क्योंकि कठोर बर्फ के अंदर से गैस तेजी से निकलती है। इससे मकड़ियों जैसी आकृतियों वाली शाखाएं बनती हैं। इंग्लैंड की ओपन यूनिवर्सिटी के प्लैनेटरी साइंटिस्ट लॉरेन मैककियोन ने कहा कि मंगल ग्रह के ध्रुवीय लैंडस्केप का यह पहली लैब निर्मित सतह है। जिस पर हमने यह प्रयोग किया है।
लॉरेन ने बताया कि प्रयोगशाला में हमने जो पैटर्न देखा वो मंगल ग्रह के सतह पर दिखने वाली मकड़ियों की आकृतियों जैसी ही थी। ये बताता है कि वहां मौजूद ड्राई आइस जब तेजी से गैस में बदलती है तो ये आकृतियां बनने लगती हैं
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