एक छिपकली ने दुनिया में सबसे ऊपर रहने का विश्व रिकॉर्ड बनाकर सबको चौंका दिया है। इस छिपकली को हाल ही में समुद्र तल से 5400 मीटर यानी 17,716.54 फीट की ऊंचाई पर देखा गया। अब तक किसी सरीसृप या छिपकली को इस ऊंचाई पर नहीं देखा गया था। इस छिपकली ने ऊंचाई पर मिलने वाली छिपकलियों के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

इस छिपकली का नाम है लियोलाइमस टैक्ने। इसके बारे में हाल ही में हर्पेटोजोआ नामक मैगजीन में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि लियोलाइमस टैक्ने पेरू के एंडीज पर्वतों पर 17,716 फीट की ऊंचाई पर देखा गया। इस ऊंचाई पर तापमान में अंतर, तेज अल्ट्रवायलेट किरणें और कम ऑक्सीजन की समस्या होती है, इसके बावजूद ये छिपकली इतनी ऊंचाई पर रह रही है।

जीव विज्ञानी जोस सेर्डेन और उनके सहयोगियों ने अक्टूबर 2020 में पेरू के चचानी ज्वालामुखी पर चढ़ाई की। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 6,057 मीटर यानी 19872 फीट है. वहां उनकी टीम लियोलाइमस टैक्ने छिपकलियों की तलाश कर रही थी। इन छिपकलियों को ट्री-इगुआना के नाम से भी जानते है। टीम ने उन्हें खोज भी निकाला क्योंकि वो 5,000 मीटर तक चढ़ाई कर चुके थे।

पेरू के अरेक्विपा में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट ऑगस्टिन की शोधकर्ता जोस सेर्डेन कहतीं है कि हमनें चट्टानों के बीच कुछ हिलते हुए देखा, पहले तो हमे लगा कि वो चूहा है। जब हमारी टीम ने पास जाकर देखा तो पाया कि ये जानवर छिपकली है। जिसे लियोलाइमस टैक्ने के रूप में पहचाना जाता है।

जोस सेर्डेन ने बताया कि ये प्रजाति पेरू के ऊंचाई वाले इलाके में जीवित रहने के लिए जानी जाती है। चचानी के पास लोगों ने इसे पहले समुद्र तल से 4,000 मीटर पर देखा था। क्योंकि स्तनधारियों के लिए ऐसी परिस्थितियों में जीवन जीना अत्यधिक मुश्किल है। लेकिन ठंडे खून वाले रेप्टाइल्स यानी सरीसृप या छिपकलियां ऐसी जगहों पर रह लेती हैं।

लियोलाइमस टैक्ने जैसी छिपकलियां या सरीसृप तापमान की बाधाओं को संभाल लेती हैं। इसके बावजूद 17,716 फीट की ऊंचाई पर छिपकली के होने का रिकॉर्ड दुर्लभ है। अब तक सबसे अधिक जीवित रेप्टाइल 5,300 मीटर की ऊंचाई पर तिब्बती पठार पर रहने वाली टॉड हैडेड आगामा छिपकली है। एनडियन छिपकली पुराने रिकॉर्ड को 100 मीटर की ऊंचाई से तोड़ चुकी है।

लियोलाइमस टैक्ने छिपकली की 270 से अधिक प्रजातियां पूरे दक्षिण अफ्रीका में निवास करती हैं। जलवायु परिवर्तन होने के बावजूद लियोलाइमस टैक्ने छिपकली सुविधाजनक तौर पर इतनी ऊंचाई पर रह सकती है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बर्फ पीछे हटी तो छिपकली ने अपना घर बना लिया।