हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार बहुत अनिवार्य और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। जिसे मोक्ष के लिए जरूरी माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में ऐसे समुदाय भी हैं जहां कहीं मौत के बाद शव के टुकड़े कर उसका सूप पी जाते हैं। दक्षिण कोरिया में डेथ बीड कंपनी का नाम सुना होगा आपने अगर नहीं तो हम बताते हैं। दरअसल यहां शव की राख को मोतियों में सहेज दिया जाता है। ऐसा करने वाली ये कंपनी अब दूसरे देशों में भी अपनी सेवा देने लगी है। कई लोग अपनों की राख को कांच के बर्तन में सजा कर रखने लगे हैं। 

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अफ्रीका के मैडागास्कर में शव को दफनाया जाता है। लेकिन फिर बार बार उसे निकाल कर देखा जाता है कि मांस गला की नहीं। क्योंकि अगर ऐसा नहीं होगा तो आत्मा को मुक्ति नहीं मिलेगी और पुनर्जन्म नहीं होगा। लेकिन जिस दिन शव गल जाता है और सिर्फ कंकाल बचता है तो पार्टी की जाती है और फिर आखिरकार शव को पूरी तरफ दफना दिया जाता है। इसे फामाडिहाना करते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक तिब्बत में बौद्ध धर्म के लोग अंतिम संस्कार के बाद शव को आकाश को समर्पित कर देते हैं ताकि गिद्ध और चील उसे खा ले। इसके लिए पहले शव की पूजा होती है और फिर शव के टुकड़े किये जाते हैं। इन टुकड़ों को जौ के आटे में घोल दिया जाता है और फिर गिद्ध और चील को परोसा जाता है।

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अमेजन के जंगलों में रहने वाली यानोमानी ट्राइब के लोग शव को जलकर अंतिम संस्कार को करते हैं लेकिन फिर उसकी राख का सूप परिवार वाले पी जाते हैं। ये लोग मानते हैं कि ऐसा करने पर मृत आत्मा को शांति मिलती है। मृत परिजन चाहता है कि उसके अपने ही उसका प्रयोग कर लें। इधर इंडोनेशिया में तोरजा समाज में लोग शव को अपने साथ ही रखते हैं। जिसे मुकुला कहा जाता है। शव सुरक्षित रहे इसलिए फॉर्मल्डिहाइड और पानी के लेप का प्रयोग होता है। ये समाज मानता है कि एक परिवार का अंतिम संस्कार साथ होना चाहिए। जिस दिन उस परिवार के अंतिम शख्स की मौत होती है। जश्न होता है। इस दौरान भैसे की बली दी जाती है। और शव को दफनाने के बजाय पहाड़ियों पर गुफाओं में रख दिया जाता है।