/fit-in/640x480/dnn-upload/images/2023/03/08/01-1678270754.jpg)
त्रिपुरा मानवाधिकार संगठन (टीएचआरओ) ने दो मार्च को विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद हुई राजनीतिक हिंसा के खिलाफ कार्रवाई करने और पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय जाने का फैसला किया है। मीडिया से बात करते हुए टीएचआरओ के सचिव और अगरतला के रामनगर निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार पुरुषोत्तम रॉय बर्मन ने आरोप लगाया कि चुनाव परिणाम के बाद केवल रामनगर क्षेत्र में विपक्षी समर्थकों पर एक हजार से ज्यादा हिंसा की घटना हुई है जबकि पूरे राज्य में ये आंकड़े हजारों में है।
बर्मन ने आरोप लगाया कि भाजपा के खिलाफ मतदान करने का आरोप लगाते हुए लोगों के घरों, दुकानों, कृषि बागानों सहित आजीविका के अन्य विकल्पों को नष्ट किया गया और आग लगा दी गई। शिकायतें दर्ज करने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की बल्कि परिवारों पर दूसरी बार भी हमला हुआ और पुलिस में रिपोर्ट करने के लिए भारी जुर्माना लगाया गया, जो न केवल एक आपराधिक कृत्य है बल्कि निर्वाचित सरकार के लिए एक खुली चुनौती भी है। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में पुलिस और प्रशासन की विफलता के कारण पिछले सात दिनों में राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति अनियंत्रित हो गई है, जिसमें विपक्षी समर्थकों पर हिंसा, हमला और उनके घरों और संपत्तियों को नष्ट करने में भाजपा के निर्वाचित विधायक सीधे रूप से शामिल हैं। परिवार बेघर हो चुके हैं और प्रशासन से कोई मदद नहीं मिल रही है।
ये भी पढ़ेंः CPIM ने बीजेपी पर साधा निशाना, त्रिपुरा में चार दिन में हुई 668 हिंसा की घटना, 3 की मौत
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने वादा किया था कि परिणामों की घोषणा के बाद यह सुनिश्चित किया जाएगा कि राज्य में राजनीतिक हिंसा न हो लेकिन चुनाव परिणाम के बाद से पूरे राज्य में विपक्ष पर लगातार हिंसा हो रही है और 100 से ज्यादा लोग अस्पताल में भर्ती हैं। उन्होंने कहा कि जब प्रशासन, पुलिस और निर्वाचन आयोग राजनीतिक हिंसा से नागरिकों की रक्षा करने में विफल रहा है और सत्तारूढ़ पार्टी या मुख्यमंत्री कोई बयान नहीं दे रहे हैं तो हमारे पास न्याय प्राप्त करने के लिए उच्च न्यायालय जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। अगर जरूरत पड़ी तो हम इस गैरकानूनी और बर्बरता के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय भी जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि न केवल विपक्षी दलों के समर्थकों और कार्यकर्तों को बल्कि हारे हुए प्रत्याशियों और उनके रिश्तेदारों को भी सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ता निशाना बना रहे हैं।श्री बर्मन ने कहा कि भाजपा के समर्थन से असामाजिक तत्वों ने त्रिपुरा में आतंक का राज कायम किया है और इन मामलों को राज्य के डीजीपी और मुख्य सचिव के संज्ञान में बार-बार लाया गया है लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |