त्रिपुरा सरकार ने चाय बागानों और उसके आसपास चाय पर्यटन के लिए 20 हेक्टेयर भूमि आवंटित की है, जहां राज्य भर में गैर-चाय गतिविधियों के लिए भूमि उपलब्ध है। त्रिपुरा चाय विकास निगम लिमिटेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। 

उन्होंने कहा कि राज्य में लंबे समय से खत्म हो रहे इस उद्योग को पुनर्जीवित किया गया है और तीन वर्षों में काफी लाभ अर्जित किया है। राज्य में चाय उद्योग को बढ़ावा देने के अलावा त्रिपुरा सरकार ने विशेष सम्पदाओं के प्रबंधन के तहत चाय बागान में पर्यटन सर्किट को एक ‘इकोटूरिज्म’ गंतव्य के रूप में विकसित करने के लिए कदम उठाया है। 

अधिकारी ने कहा, अब चाय की पत्ती को 274 रुपए प्रति किलोग्राम बेचा जा रहा है जिसे तीन साल पहले 134 रुपए प्रति किलोग्राम बेचा गया था। राज्य में चाय मजदूरों की मजदूरी 105 रुपए है, अब जिसे बढ़ाकर 131 रुपए प्रतिदिन किया गया है जबकि चाय का व्यापार इस महामारी के दौरान 17 फीसदी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में 12,800 हेक्टेयर भूमि में चाय की खेती की जाती है और हाल ही में मंत्रिपरिषद ने विभिन्न चाय बागानों में पर्यटन विकास और छुट्टियों के उद्देश्यों को विकसित करने के लिए 20 हेक्टेयर भूमि आबंटित करने का फैसला किया है। 

अधिकारियों ने कहा कि संसाधित के लिए बंगलादेश में एक बड़ा बाजार है। त्रिपुरा की चाय पत्ती के निर्यात के लिए केंद्र सरकार को राजी कर रही है। बंगलादेश, श्रीलंका से करीब 65 लाख किलोग्राम प्रसंस्कृत चाय की पत्तियां खरीद रहा है और अगर केंद्र से मंजूरी मिलती है तो यहां से भी उतनी मात्रा की चाय की पत्ती की आपूर्ति की जा सकती है।