त्रिपुरा में भारत-बंगलादेश सीमा पर तार लगाने का काम करने के दौरान बंधक बनाए गए एनपीसीसी के तीन कर्मचारियों को एनएलएफटी ने 16 दिनों के बाद रिहा कर दिया है। अधिकारियों ने बताया कि फिरौती की रकम देने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। 

नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) के उग्रवादियों ने इन कर्मचारियों को पूर्वी त्रिपुरा के सीमावर्ती इलाके से बंधक बना लिया था, जिसके बाद उन्हें चट्टगोंग हिल्स के अपने कब्जे वाले इलाके में रखा था। राष्ट्रीय परियोजनाएं निर्माण निगम लिमिटेड (एनपीसीसी) के कर्मचारियों के परिजनों ने उनकी सुरक्षित रिहाई के लिए 12 लाख रुपये दिए हैं। शुरुआत में एनएलएफटी ने कर्मचारियों की रिहाई के बदले तीन करोड़ रुपये की मांग की थी, लेकिन करीब दो सप्ताह तक चली बातचीत के बाद दोनों पक्षों के बीच 12 लाख रुपये को लेकर सहमति बनी। 

एनएलएफटी के हथियारबंद उग्रवादियों ने धलाई जिले के गंडाचेरा के माल्दा कुमार पारा से सुभाष भौमिक, सुबल देबनाथ और गण मोहन त्रिपुरा को सात दिसंबर को बंधक बना लिया था और फिरौती मांगने को लेकर परिजनों से संपर्क किया था। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव ने एक सार्वजनिक बैठक में कहा था कि वह जानते हैं कि अपहरण कर लोगों को कहां रखा गया है। उन्होंने उग्रवादियों को सर्जिकल स्ट्राइक की चेतावनी भी दी थी। प्राप्त रिपोर्टों के मुताबिक एनएलएफटी के उग्रवादी एनपीसीसी के कर्मचारियों को बंधक बनाने के बाद बंगलादेश की सीमा के 40 किलोमीटर भीतर ले गए थे।