सेवन सिस्टर्स कहलाने वाले पूर्वोत्तर के सात राज्यों में एक त्रिपुरा में इन दिनों ब्रू शरणार्थियों को बसाने को लेकर घमासान मचा हुआ है। सरकार इन्हें स्थायी रूप से त्रिपुरा में बसाने जा रही है। इसके विरोध में स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए हैं। आंदोलन दिन ब दिन उग्र होता जा रहा है। लोगों ने वाहन जलाने शुरू कर दिए हैं। पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़ रहे हैं। ब्रू जनजाति के बमुश्किल 30000-32000 शरणार्थी हैं। ये लोग भारत के ही मूल निवासी हैं।

ब्रू जनजाति के मूल रूप से मिजोरम के आदिवासी हैं। 1996 में हुई हिंसा के बाद इन्होंने त्रिपुरा के कंचनपुरा ब्लाक के डोबुरी गांव में शरण लिया था। दो दशक से ज्यादा समय से यहां रहने और अधिकारों की लड़ाई लड़ने के बाद इन्हें यहीं बसाने पर समझौता हुआ है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और ब्रू शरणाíथयों के प्रतिनिधियों ने इस साल जनवरी में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा की मौजूदगी में दिल्ली में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। जनवरी में 600 करोड़ रुपए का पुनर्वास योजना पैकेज जारी करने का ऐलान किया गया। इससे पहले 2018 में भी केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव देव और मिजोरम के तात्कालीन मुख्यमंत्री ललथनहवला के बीच भी समझौता हुआ था, पर अमल नहीं हुआ।

ब्रू जनजाति मूल रूप से मिजोरम के रहने वाले हैं। इनमें से ज्यादातर परिवार मामित और कोलासिब जिले में ही बसे थे 1996 में ब्रू रियांग और बहुसंख्यक मिजो समुदाय के बीच सांप्रदायिक दंगा हो गया। हिंसक झड़प के बाद 1997 में हजारों लोग भाग कर पड़ोसी राज्य त्रिपुरा के शिविरों में पहुंच गए थे। इस विवाद में ब्रू नेशनल लिबरेशन फ्रंट (बीएनएलएफ) और राजनीतिक संगठन ब्रू नेशनल यूनियन (बीएनयू) उभरकर सामने आए। एक ओर ये अलग जिले की मांग कर रहे थे। वहीं मिजो एसोसिएशन और मिजो स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने ब्रू समुदाय के लोगों की चुनावों में भागीदारी का विरोध किया। उनका कहना है ब्रू मिजोरम के मूल निवासी नहीं हैं।

ब्रू जनजाति को त्रिपुरा में बसाए जाने का विरोध कर रहे नागरिक सुरक्षा और मिजो कन्वेंशन ने जाइंट एक्शन कमेटी (जेएससी)बनाई है। इसके चेअरमैन डॉ. जाएकेमथियामा पछुआ ने स्थानीय मीडिया सेकहा है कि स्थानीय प्रशासन ने पहले भरोसा दिया था कि महज डेढ़ हजार ब्रू परिवारों को ही यहां बसाया जाएगा लेकिन अब छह हजार परिवारों को बसाने की योजना बनाई जा रही है। इससे माहौल और आबादी का संतुलन बिगड़ेगा। इधर, जिला प्रशासन का कहना है शरणार्थियों के लिए 15 अलग-अलग जगह चिन्हित किए गए हैं।