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त्रिपुरा सरकार ने तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी (abhishek banerjee) के मुख्यमंत्री बिपल्ब कुमार देब (Biplab kumar deb) पर किए गए जोरदार हमले का जवाब देते हुए कहा कि वह यहां अराजकता की स्थिति पैदा ना करें और त्रिपुरा (Tripura) में हिंसा की संस्कृति को ना लाएं।
सूचना और संस्कृतिक मामलों के मंत्री सुशांता चौधरी ने कहा कि गुपचुप तरीके से तृणमूल और सीपीआई-एम (TMC CPIM) के बीच समझौते को अभिषेक ने माना है। उन्होनें कहा कि त्रिपुरा की जनता अभी भी वामपंथी द्वारा किए गए बुरे शासन के 25 सालों के दर्द से उभरी नहीं है, जिसमें उन्हें सिर्फ दर्द और अत्याचार मिलें। राज्य अभी भी साम्यवाद के कुशासन की चुनौतियों का सामना कर रहा है।
मुख्यमंत्री के खिलाफ इस्तेमाल की गई अभिषेक बनर्जी (abhishek banerjee) की भाषा की आलोचना करते हुए चौधरी ने कहा कि सरकार ने अच्छी मंशा के साथ पहले ही तृणमूल की रैली को मैदान में आयोजित करने की हिदायत दी थी, जिससे लोगों का शहर में आवगमन और तृणमूल समर्थकों के लिए आसानी होती लेकिन वो इसे इसके लिए नहीं माने। चौधरी ने कहा कि हमें उनके रबींद्र शताबारशीकी भवन के सामने 500-1000 लोगों के साथ रैली करने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन अपनी ताकत को छुपाने के लिए वो पश्चिम बंगाल और असम से बड़ी संख्या में लोगों को लाने की कोशिश कर रहे थे। जिसके कारण हमने उन्हें जगह बदलने का प्रस्ताव दिया। इसके बाद उच्च न्यायालय ने भी वहीं बात कही और हिस्सा लेने वालों की संख्या को 500 लोगों तक सीमित कर दिया जो अभिषेक बनर्जी के लिए बड़ी हार है। मंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि सारदा चिट फंड मामले में आरोपी कुनाल घोष त्रिपुरा में तृणमूल का नेतृत्व कर रहे हैं। अभिषेक बनर्जी जो खुद कोयला घोटाले में आरोपी है, वहीं उनकी पत्नी त्रिपुरा में भड़काऊ स्थिति पैदा कर रही है जो सोने की तस्करी में आरोपी है। ऐसे लोगों को राज्य कभी स्वीकार नहीं करेगा।
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