शीर्ष अदालत ने सोशल मीडिया पोस्ट के लिए UAPA के तहत त्रिपुरा पुलिस द्वारा दायर प्राथमिकी को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए एक तारीख तय करने पर सहमति व्यक्त की है। त्रिपुरा पुलिस (Tripura police) ने सांप्रदायिक हिंसा पर सोशल मीडिया पोस्ट के लिए पत्रकार श्याम मीरा सिंह सहित 102 लोगों पर UAPA के तहत मामला दर्ज किया है।

इसके अलावा, त्रिपुरा पुलिस ने UAPA के तहत सुप्रीम कोर्ट के चार वकीलों पर भी मामला दर्ज किया, जो एक तथ्य-खोज दल का हिस्सा थे। त्रिपुरा पुलिस ने UAPA के तहत दर्ज किए गए व्यक्तियों के खातों को फ्रीज करने के लिए ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब के अधिकारियों को भी नोटिस जारी किया है।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (NV Ramana) की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ को संबोधित करते हुए कहा “ये वकील त्रिपुरा में इन घटनाओं की जांच करने वाली फैक्ट फाइंडिंग टीम का हिस्सा थे। सोशल मीडिया यूजर्स जिन्होंने 'त्रिपुरा जल रहा है' जैसे संदेश पोस्ट किए हैं, उन पर भी यूएपीए के तहत आरोप लगाए गए हैं," ।
इस बीच, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (PCI) इंडिया ने राज्य में सांप्रदायिक हिंसा पर सोशल मीडिया पोस्ट के लिए पत्रकार और अन्य निर्दोष नागरिकों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के लिए त्रिपुरा सरकार की कड़ी निंदा की है। PCI ने एक बयान में कहा कि यह हैरान करने वाला है कि त्रिपुरा सरकार राज्य में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान कई निर्दोष नागरिकों के साथ-साथ मीडियाकर्मियों को पीट रही है, मार रही है और गिरफ्तार कर रही है।