पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में बीजेपी के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब अक्सर अपने अटपटे बयानों के जरिए सुर्खियां बटोरते रहते हैं। लेकिन अब पहली बार यह राज्य राजनीति से इतर वजह से सुर्खियों में है। वह है राज्य को प्लास्टिक-मुक्त करने की सरकारी पहल। अगरतला स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत राजधानी अगरतला में प्लास्टिक के कचरे से पहली सड़क बनाई गई है। वैसे तो इसकी लंबाई महज सात सौ मीटर ही है। लेकिन सरकार का कहना है कि इस परियोजना की कामयाबी के बाद अब यह काम बड़े पैमाने पर शुरू किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने सोमवार को इस सड़क का उद्घाटन किया।

अगरतला में बनी सड़क
वैसे, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने वर्ष 2018 में सत्ता में आने के बाद ही इस दिशा में पहल की थी और सरकारी अधिकारियों को इस बारे में जरूरी निर्देश दिए थे। त्रिपुरा देश के बाकी हिस्सों के साथ महज नेशनल हाइले-44 के जरिए ही जुड़ा है। वैसे भी पूर्वोत्तर राज्यों में असम को छोड़ दें तो बाकियों के लिए सड़कों को जीवनरेखा माना जाता है। मुख्यमंत्री ने अगरतला नगर निगम (एएमसी) से लोगों के घरों से कचरा जुटाने का अभियान चलाकर रिसाइकिल प्लास्टिक के कचरे से कम से कम पांच सौ मीटर लंबी सड़क बनाने को कहा था। लेकिन अब करीब सात सौ मीटर लंबी सड़क को इस तकनीक से तैयार किया गया है।
मुख्यमंत्री बिप्लब देब का कहना था, "यह पहला मौका है जब त्रिपुरा में घर-घर से प्लास्टिक का कचरा जुटा कर उसे रिसाइकल किया गया और उससे सात सौ मीटर लंबी सड़क का निर्माण किया गया है। इस योजना से भविष्य की राह खुल गई है। इससे यह बात पता चलती है कि उचित इस्तेमाल से इस कचरे की लगातार गंभीर होती समस्या पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। इससे हम पूरे राज्य व पर्यावरण को प्लास्टिक-मुक्त बना सकते हैं।”

अगरतला स्मार्ट सिटी लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शैलेश कुमार यादव बताते हैं, "सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक कचरे का उपयोग करने का विचार अनूठा है। जिस तरह बिटुमेन में पत्थर का इस्तेमाल किया जाता है उसी तरह से एक निश्चित मात्रा में प्लास्टिक के कचरे का इस्तेमाल पत्थर के साथ-साथ अंतिम मिश्रण में किया जाता है।” इस सड़क को बनाने पर सत्तर लाख रुपए की लागत आई है यानी दस लाख रूपए प्रति सौ मीटर। उन्होंने कहा कि राजधानी अगरतला में रोजाना 19 टन प्लास्टिक कचरा पैदा हो रहा है। यादव बताते हैं कि प्लास्टिक कचरे को बिटुमेन के साथ मिला कर बनाई जाने वाली सड़कें उन इलाकों के लिए बेहद असरदार हैं जहां बारिश ज्यादा होती है और सड़कों पर पानी भर जाता है।