त्रिपुरा राज्य कांग्रेस अध्यक्ष बिरजीत सिन्हा ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए वाम मोर्चा (एलएफ) के साथ सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप देने के बाद शुक्रवार को पार्टी नेताओं और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ वाम दलों के साथ मिलकर प्रचार करने का निर्देश दिया।

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भाजपा के खिलाफ लोगों को लामबंद करने के लिए सिन्हा ने पार्टी के जिला, प्रखंड और मंडल अध्यक्षों से वाम मोर्चा के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ मजबूत समन्वय के साथ अपनी चुनाव पूर्व गतिविधियों को जारी रखने के लिए कहा। साठ सीटों वाली त्रिपुरा विधानसभा में एलएफ 46 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जबकि कांग्रेस 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। रामनगर में कांग्रेस एलएफ समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन करेगी।

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सिन्हा ने कहा कि कांग्रेस और वाम मोर्चा सर्वसम्मति से भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन सरकार को हटाने, लोकतंत्र को वापस लाने और सांप्रदायिक ताकतों को नष्ट करने के लिए सीटों को साझा करने पर सहमत हुए। कांग्रेस 13 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और भाजपा के खिलाफ आमने-सामने की लड़ाई सुनिश्चित करने के लिए वामपंथी दल 47 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसलिए, सभी स्तरों पर वामपंथियों और कांग्रेस दोनों के संयुक्त संघर्ष की आवश्यकता है। सिन्हा ने कहा कि दोनों दलों के केंद्रीय और राज्य के नेताओं के साथ गहन चर्चा के बाद, राज्य को एक अलोकतांत्रिक, निरंकुश तथा जनविरोधी सरकार के चंगुल से बचाने के लिए भाजपा के खिलाफ एकजुट लड़ाई का फैसला किया गया है। 

उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि वामपंथी और कांग्रेस के बीच समायोजन के बारे में विभिन्न स्तरों पर कई सवाल हैं। लेकिन भाजपा का पांच साल का शासन राज्य के लिए एक राक्षस की तरह लगा, जिसके लिए हम अपने सभी अतीत को भूलकर एक साथ आए। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा के लोग माकपा और कांग्रेस को हाथ मिलाने तथा भाजपा के खिलाफ एकजुट लड़ाई लड़ने के लिए जोर दे रहे हैं। भाजपा के शासन से समाज का कोई वर्ग खुश नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने कई चीजों का वादा किया लेकिन लंबी-लंबी बातों, भ्रष्टाचार, झूठे तर्कों, सांप्रदायिक उकसावे और हिंसा के अलावा पांच साल में कुछ नहीं किया।