नई दिल्ली। तुर्की में हाल ही में जबरदस्त भूकंप आया है जिसकी वजह से हजारों लोगों की जानें चली गई हैं। लेकिन तुर्की में आया भूकंप आम लोगों के साथ ही रेचेप तैय्यप आर्दोआन की सरकार के लिए भी बड़ा संकट बनकर सामने आया है। भूकंप के बाद आर्दोआन की सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं। आपको बता दें कि तुर्की में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं ऐसे में आर्दोआन की सत्ता अब दांव पर लग गई है। भूकंप के बाद जनता में आक्रोश है और वो आर्दोआन की अपील सुनने को तैयार नहीं। आपको बता दें कि भूकंप की वजह से तुर्की औऱ सीरिया में 34 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, यह आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है है। 

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आर्दोआन सरकार का इंतजाम भी सुस्त

अब आर्दोआन सरकार को साबित करना है कि वह लोगों के नेता हैं औऱ उन्होंने भूकंप पीड़ितों की मदद की है। इसके साथ ही इतनी बड़ी संख्या में इमारतों के धराशायी होने के बाद लोगों के रहने की व्यवस्था करना भी उनके लिए एक बड़ी चुनौती है। आपको बता दें कि इससे पहले 1939 में तुर्की में खतरनाक भूकंप आया था। इस बार यहां 81 प्रांत भूकंप प्रभावित हुए हैं। भूकंप के बाद आर्दोआन सरकार का इंतजाम भी सुस्त दिखा। उनको लोगों के पास राहत पहुंचने में समय लगा है। हालांकि, अब दुनिया के अन्य देशों से मदद पहुंच रही है और कई देशों के दल राहत और बचाव के काम में लगे हुए हैं। खबर है कि कि केवल तुर्की में ही 12 हजार इमारतें ध्वस्त हुई हैं। यहां पर आलम ये है कि तुर्की डिजास्टर अथॉरिटी के कर्मचारी ही भूकंप में फंस गए।

भूकंप टैक्स की रकम का क्या हुआ

गौरतलब है कि 1999 में भी तुर्की में भूकंप आया था जिसमें करीब 17 हजार लोग मारे गए थे। इसके बाद सरकार की तरफ से आदेश जारी किया गया कि सभी इमारतों को भूकंपरोधी बनाया जाए। इसके लिए कॉस्ट्रेक्टर्स को भी हिदायत दी गई। इस काम के लिए जनता से अलग से टैक्स भी वसूला गया। लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि इतने सालों में इमारतें भूकंपरोधी क्यों नहीं बनी। अब राष्ट्रपति लोगों को यह कहकर शांत करने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसी घटनाएं तो आमतौर पर होती रहती हैं। उन्होंने पीड़ित परिवारों को 530 डॉलर की तुरंत सहायता देने की घोषणा की है। वहीं, एक साल के अंदर पीड़ितों के घर बनाने का भी आदेश दिया है। हालांकि यह काम इतनी जल्दी नहीं पूरा किया जा सकता। जाहिर सी बात है कि उन्हें जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा। 

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लोगों के पास मदद नहीं पहुंच पाई

आपको बता दें कि आर्दोआन ने स्वयं स्वीकार किया है कि समय पर लोगों के पास मदद नहीं पहुंच पाई। हालांकि, इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। तुर्की के भूकंप प्रभावित ज्यादातर प्रांतों में आर्दोआन की पार्टी एकेपी का शासन है और वो 20 साल से सत्ता में हैं औऱ अब उनकी नीतियों का विरोध हो रहा है। जबकि, उनके विरोधी किलिकदारोगलु 6 पार्टियों का नेतृत्व करते हैं जो आर्दोआन के खिलाफ संयुक्त उम्मीदवार खड़ा कर सकते हैं। यह भी बड़ी बात है कि तुर्की में अर्थव्यवस्था भी बिगड़ रही है और यहां महंगाई दर 57 फीसदी है।