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नई दिल्ली. देश में ओमिक्रोन (Omicron) ही नहीं कोरोना के भी मामले बढ़ रहे हैं. पिछले 24 घंटे में देश भर में 27 हजार से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आने के बाद अब कोविड की तीसरी लहर (Corona Third Wave) की आशंका पैदा हो गई है. इतना ही नहीं विशेषज्ञों का भी कहना है कि जिन लोगों ने कोरोना की वैक्सीन नहीं लगवाई है उन पर ओमिक्रोन या अन्य वेरिएंट (Variant) कई गुना ज्यादा प्रभाव दिखा सकता है. लिहाजा बच्चों को अभी तक वैक्सीन (Vaccine) न लगने के चलते लोगों के मन में भी चिंता पैदा हो गई है. हालांकि आयुर्वेद के विशेषज्ञों का कहना है कि अगर एहतियात और इम्यूनिटी (Immunity) बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक उपायों को अपनाया जाए तो किसी भी संक्रमण का खतरा काफी कम हो सकता है.
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA) की निदेशक डॉ. तनुजा कहती हैं आयुर्वेद के उपाय कोरोना या किसी वेरिएंट से बचाव का दावा तो नहीं करते लेकिन इन उपायों से रोग प्रतिरोधक क्षमता जरूर मजबूत होती है जो किसी भी संक्रमण (Infection) के प्रभाव को करती है. वहीं भारत में देखा जा रहा है कि ओमिक्रोन वेरिएंट बहुत तेजी से फैल रहा है. यह एक साथ हजारों लोगों को संक्रमित कर रहा है. जिस भी देश में इसके मामले सामने आए हैं वहां इसकी रफ्तार काफी तेज ही मिली है. ऐसे में भारत में वे लोग जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली है या फिर सभी बच्चे जिनका कोविड टीकाकरण (Corona Vaccination) हुआ ही नहीं है, उन्हें सावधानी बरतने की जरूरत है. जैसा कि हमारे आयुर्वेद में कोरोना के प्रति व्यवहार के लिए कोविड दैनंदिनी (Covid Dainandini) बनाई गई है. कोविड अनुरूप आयुर्वेदिक व्यवहार है. अगर इसका भी ठीक तरह से रोजाना पालन किया जाए तो किसी भी इन्फेक्शन से बचने में सहायता मिल सकती है.
डॉ. नेसारी कहती हैं कि अभी तक के अध्ययन बताते हैं कि ओमिक्रोन में फैलाव ज्यादा है लेकिन गंभीरता कम है और इसकी वजह वैक्सीन भी है क्योंकि यह वैक्सीनेटेड लोगों को संक्रमित जरूर कर रहा है लेकिन गंभीर रूप से नुकसान नहीं पहुंचा पा रहा. ऐसे समय में बच्चों की देखभाल करना काफी जरूरी हो जाता है. इसके लिए बच्चों को मास्क (Mask) पहनाने, सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) में रखने के साथ ही कुछ आयुर्वेदिक उपायों का इस्तेमाल किया जाए तो इन्हें संक्रमण से सुरक्षित रखा जा सकता है.
डॉ. तनुजा कहती हैं कि बच्चों को रोजाना च्यवनप्राश दिया जाना जरूरी है. इस समय सर्दी का भी मौसम है ऐसे में दूध के साथ च्यवनप्राश देना काफी फायदेमंद रहेगा. इसके साथ ही हल्दी वाला दूध भी दें. इसमें कच्ची हल्दी को दूध में उबालकर या फिर पिसी हल्दी को भी दूध में मिलाकर दिया जा सकता है. एक तो सर्दियां ऊपर से कोरोना आदि संक्रमण का डर, लिहाजा बच्चों का खानपान ताजा और संतुलित रखें. मसलन ताजे फल, सब्जियां देने के साथ ही उन्हें जंक फूड (Junk Food) या फास्ट फूड आदि से दूर रखें. पानी की मात्रा बेहतर रखें. जूस दें.
वे कहती हैं कि अगर बच्चे को सर्दी, खांसी या जुकाम होता है तो उसे तत्काल आयुर्वेद की दवाएं जैसे सितोपलादि चूर्ण या हरिद्रा खंड शहद में मिलाकर दे सकते हैं. द्राक्षासव आदि दे सकते हैं. इसके साथ ही चिकित्सक से परामर्श लिया जा सकता है. इसके अलावा अगर बच्चे पी लें तो गिलोय, तुलसी, मुलेठी, दालचीनी, मुनक्का आदि औषधियों से बना हुआ काढ़ा भी सकते हैं. इन उपायों को बड़े लोग भी अपना सकते हैं.
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