नई दिल्ली। आज यानि 24 फरवरी को रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को 1 साल पूरा हो गया है। अभी तक इस युद्ध का कोई निर्णय ​नहीं निकल पाया है। क्योंकि रूसी महाशक्ति के सामने यूक्रून की सहन शक्ति भारी पड़ रही है। हालांकि, यह सबको पता है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला क्यों किया था। इसके पीछे की वजह यूक्रेन द्वारा दुनिया के सबसे खतरनाक संगठन नाटो में शामिल होने की कोशिश करना था। इसी बात को लेकर रूस गुस्सा हो गया और हमला करके अब तक यूक्रेन के 17 फीसदी हिस्से पर कब्जा कर लिया। इस युद्ध के कारणों और वर्तमान परिणामों से सभी अवगत हैं, लेकिन इस दुनिया में ऐसा युद्ध भी लड़ा गया है जिसके पीछे की वजह सिर्फ एक तरबूज रहा।

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तरबूज की खातिर लड़े ये दो देश

तरबूज की खातिर लड़ा गया यह युद्ध 'मतीरे की राड़' के नाम से प्रसिद्ध है। यह युद्ध राजस्थान में 1644 में दो बड़ी सियासतों के बीच में लड़ा गया। इस युद्ध में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया जिस​में कईयों की जान गई और इसके बाद निर्णय तरबूज को वापस लेकर ही निकला। यह बीकानेर रियासत के सिल्वा गांव और नागौर रियासत के जखनियां गांव के लोगों को लेकर हुई।

ऐसे शुरू हुआ युद्ध

दरअसल, बीकानेर की रियासत की सीमा पर बसे सिल्वा गांव के खेत में तरबूज की बेल लगी थी। यह बेल बड़ी होकर सीमा लांघती हुई नागौर रियासत के जखनियां गांव के खेत में चल गई। इसके बाद इस बेल में फल नागौर रियासत की सीमा में लगा था, लेकिन इसकी जड़ बीकानेर में थी। यही वजह मतीरे की राड़ का कारण बन गई। इसको लेकर बीकानेर रियासत का कहना था कि इस बेल पर लगा फल उसका है क्योंकि इसकी बेल की जड़ें उसके रियासत में है। वहीं, नागौर नागौर का कहना था कि फल उसकी सीमा में लगा है। ऐसे में फल पर उसका अधिकार है। बस, यही बात युद्ध का कारण बन गई।

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इस रियासत की हुई जीत

हालांकि, आपको बता दें कि इस युद्ध के बारे में दोनों ही रियासतों के राजाओं को जानकारी नहीं थी। यह अनोखा गांव वालों ने ही आपस में लड़ लिया। क्योंकि, जब ये युद्ध लड़ा गया तब दोनों ही रियासतें मुग़ल साम्राज्य के अधीन हो चुकी थी। हालांकि, जब तक इस युद्ध की बात राजाओं को पता चली उससें पहले बीकानेर ने जीत प्राप्त कर ली थी