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नई दिल्ली। भारत के उत्तरप्रदेश राज्य में बसी वाराणसी यानि काशी को बाबा विश्वनाथ की नगरी कहा जाता है. काशी के निवासी सभी त्योंहारों और पर्वों को अपने आराध्य देव बाबा विश्वनाथ के साथ जरूर मनाते हैं. इन्हीं पर्वों में से एक होली है जो यहां पांच दिन पहले ही रंगभरी एकादशी से शुरू हो जाता है. यहां की मान्यता के मुताबिक बाबा विश्वनाथ इसी दिन मां पार्वती का गौना कराकर रजत स्वरूप में भक्तों को दर्शन देकर होली खेलते हुए विश्वनाथ मंदिर पहुंचे थे.
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बाबा विश्वनाथ की पगड़ी मुस्लिम परिवार बनाता है
आपको बता दें कि इस विशेष दिन पर मां पार्वती और बाबा विश्वनाथ की रजत चल प्रतिमाओं का विशेष श्रृंगार किया जाता है. इसके तहत बाबा को वस्त्रों से सजाया जाता है. इसी दौरान बाबा विश्वनाथ के सिर पर राजशाही पगड़ी पहनाई जाती है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यह पगड़ी को बनाने का काम पिछली 5 पीढ़ियों से एक मुस्लिम परिवार कर रहा है. हालांकि, इसी पगड़ी को सजाने का कार्य हिंदू करते हैं. होली के पर्व पर भाईचारे की यह अपने आप में मिसाल है.
गयासुद्दीन का परिवार बनाता है पगड़ी
बाबा विश्वनाथ की पगड़ी गयासुद्दीन नाम के मुस्लिम का परिवार बनाता है. इसको लेकर गयासुद्दीन की ख्वाहिश है कि जब तक उनके हाथ चल रहे हैं और आंखें ठीक हैं, तब तक वे बाबा विश्वनाथ की सेवा करते रहेंगे. इसी वजह से होली के पहले रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ को गयासुद्दीन द्वारा तैयार की गई पगड़ी पहनाई जाती है. यह राजशाही पगड़ी इसलिए भी खास है क्योंकि ये सिर्फ वर्ष में एकबार ही बनती है.
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ऐसे बनाई जाती है पगड़ी
आपको बता दें कि वाराणसी के सिगरा क्षेत्र के लल्लापुरा इलाके में रहने वाले गयासुद्दीन को यह हुनर उनके पूर्वजों से मिला है. उनके पूर्वज लखनऊ से काशी विश्वनाथ में आकर बसे थें. यह काम करने वाले पगड़ी कारीगर गयासुद्दीन चौथी पीढ़ी के रूप में काम कर रहे हैं जबकि उनके बेटे 5वीं पीढ़ी के रूप में कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं. इस राजशाही पगड़ी को रेशमी कपड़ा, जरी, गोटा और गत्ता लगाकर तैयार किया जाता है. इसको पगड़ी को तैयार करने में लगभग एक हफ्ते का समय लगता है.
ये है पगड़ी की खासियत
आपको यह भी बता दें कि बाबा विश्वनाथ की बनाई हुई पगड़ी को अकबरी पगड़ी कहा जाता है. यह पगड़ी खास इसलिए है क्योंकि अगर कोई लाखों रुपए भी दे तो भी ऐसी पगड़ी किसी और के लिए नहीं बनेगी. गयासुद्दीन का परिवार सेवा भाव से ये काम करता चला आ रहा है. यह पगड़ी बनाने के लिए उनको जो कुछ मेहनताना मिलता है तो उसे प्रसाद समझकर ले लेते हैं.
हिंदू परिवार सजाता है पगड़ी
बाबा विश्वनाथ की बनी पगड़ी को सजाने का काम नंदलाल अरोड़ा का परिवार करता है. बाबा विश्वनाथ की सेवा करके वे अपने आपको धन्य मानते हैं. उनका कहना है कि इस पगड़ी को नगीना, मोती, कलंगी, मखमल, रेशम और गोटा से सजाया जाता है. प्रत्येक वर्ष बाबा विश्वनाथ की पगड़ी अलौकिक तौर से बनती है. इसमें साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है. अरोड़ा परिवार का मानना है कि यह पगड़ी सिर्फ बाबा विश्वनाथ की आस्था की वजह से तैयार होती है.
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