नई दिल्ली। गुजरात राज्य की सूरत कोर्ट का फैसला आने के बाद से कांग्रेस नेता राहुल गांधी के राजनीतिक भविष्य पर काले बादल मंडरा गए हैं। मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी पर कोर्ट ने राहुल को 2 साल की सजा सुनाई है। हालांकि, उनको 30 दिन की मोहलत दी गई है ताकि वो चाहें तो हाई कोर्ट में अपील कर सकें। फिलहाल राहुल की सांसदी बचने का अब कोई रास्ता नहीं है? एक्सपर्ट्स के मुताबिक जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत सांसद या विधायक सजा के सस्पेंड रहने और दोषी करार देने वाले फैसले पर स्टे लगने के बाद ही अयोग्यता से बच सकते हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो सजा काटने के बाद अयोग्यता की अवधि 6 साल की होती है। मतलब 8 साल तक निलंबन रहेगा। हालांकि, कांग्रेस और राहुल समर्थकों को सुप्रीम कोर्ट की पिछले साल की गई एक टिप्पणी से थोड़ी उम्मीद जरूर नजर आती है।

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संविधान विशेषज्ञों की राय

संविधान विशेषज्ञों के अनुसार कोर्ट द्वारा सजा का ऐलान होने के साथ ही अयोग्यता प्रभावी हो जाती है। हालांकि, राहुल गांधी अपील करने के लिए स्वतंत्र हैं। यदि अपीलीय अदालत उनकी सजा पर रोक लगाती है तो अयोग्यता भी निलंबित हो जाएगी।

हाई कोर्ट में आया था ये केस

आपको बता दें कि 17 अक्टूबर 2022 और सुप्रीम कोर्ट ने मनोज तिवारी बनाम मनीष सिसोदिया केस में महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी। भाजपा नेताओं तिवारी और विजेंद्र गुप्ता ने आपराधिक मानहानि केस में दिल्ली कोर्ट के समन को चुनौती दी थी। मामला दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दर्ज कराया था। कोर्ट ने तिवारी और गुप्ता के बयानों की बारीकी से पड़ताल की। तिवारी ने सिसोदिया के खिलाफ 2,000 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, वहीं गुप्ता ने केवल इतना कहा था कि वह घोटाला उजागर कर देंगे।

मानहानि नहीं हो सकती

सुप्रीम कोर्ट ने गुप्ता के खिलाफ मामला रद्द करते हुए कहा था कि किसी राजनीतिक दल से जुड़ा कोई शख्स अगर सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति को यह कहकर चुनौती देता है कि मैं आपके घोटाले (स्कैम) उजागर कर दूंगा, तो इससे मानहानि नहीं हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने आगे एक लाइन में कहा था, मानहानि वाला बयान काफी स्पष्ट और व्यक्ति केंद्रित होना चाहिए। इसको लेकर हाई कोर्ट ने कहा था कि सेक्शन 499 के तहत यह साफ समझ में आना चाहिए कि आरोपी की बातों से व्यक्ति की छवि को नुकसान पहुंचा है।

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राहुल गांधी को इसलिए मिली सजा

सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी को देखते हुए राहुल गांधी अब गुजरात हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के सामने यह दलील दे सकते हैं कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों?- वाला उनका बयान दरअसल सामान्य संदर्भ में कही गई एक बात थी और किसी व्यक्ति विशेष को टारगेट करके नहीं बोला गया था। वह तर्क रख सकते हैं कि उन्होंने ऐसा कहते हुए इस बात पर जोर डालने की कोशिश की थी कि कैसे घोटालेबाज बड़े आराम से देश से बाहर निकल जा रहे हैं।