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भारत और फ्रांस के बीच हुई राफेल लड़ाकू विमानों की डील में (Allegation of corruption in the deal of Rafale fighter jets between India and France) भ्रष्टाचार के आरोप को लेकर कुछ नए दावे सामने आए हैं. फ्रांस के पोर्टल मीडियापार्ट (French portal Mediapart) की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांसीसी विमान निर्माता डसॉल्ट ने भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों की बिक्री को सुरक्षित करने के लिए एक बिचौलिए को 7.5 मिलियन यूरो (French aircraft maker Dassault paid a commission of 7.5 million euros (Rs 65 crore) to a middleman to secure the sale of 36 Rafale fighter jets to India) का कमीशन दिया. वहीं, भारतीय एजेंसियों ने डॉक्युमेंट्स होने के बावजूद इसकी जांच शुरू नहीं की है.
पोर्टल का कहना है कि CBI और ED के पास अक्टूबर 2018 से सबूत मौजूद हैं कि डसॉल्ट ने राफेल जेट की बिक्री को सुरक्षित करने के लिए सुशेन गुप्ता (Dassault had bribed Sushen Gupta to secure the sale of Rafale jets) को रिश्वत दी थी. इस कथित भुगतान का बड़ा हिस्सा 2013 से पहले किया गया था. इससे जुड़े डॉक्युमेंट मौजूद हैं. इसके बावजूद, भारतीय पुलिस ने केस को आगे नहीं बढ़ाया और जांच शुरू नहीं की है.
फ्रांस का यह ऑनलाइन जर्नल 59,000 करोड़ रुपए (French online journal is probing allegations of corruption in the Rs 59,000 crore Rafale deal) के राफेल सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रहा है. राफेल पेपर्स पर मेडियापार्ट की जांच ने जुलाई में फ्रांस में राजनीति काफी गरमा दी थी. रिपोर्ट सामने आने के बाद इस मामले में भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोपों में न्यायिक जांच शुरू की.
सुशेन गुप्ता (Sushen Gupta) पर अगस्ता वेस्टलैंड से मॉरीशस में रजिस्टर्ड एक शेल कंपनी के जरिए रिश्वत लेने का आरोप है. रिपोर्ट के मुताबिक, डसॉल्ट ने 2001 में सुशेन गुप्ता को बिचौलिए के तौर पर हायर किया, इसी समय भारत सरकार ने लड़ाकू विमान खरीदने का ऐलान किया था. हालांकि, इसकी प्रक्रिया 2007 में शुरू हुई. गुप्ता अगस्ता वेस्टलैंड डील से भी जुड़ा था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सुशेन गुप्ता की इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज ने 2007 और 2012 के बीच फ्रांसीसी विमानन फर्म से 7.5 मिलियन यूरो (करीब 65 करोड़ रुपए) हासिल किए. यह भी खुलासा किया है कि मॉरिशस सरकार ने 11 अक्टूबर 2018 को इससे जुड़े डॉक्युमेंट्स सीबीआई को भी सौंपे दिए थे, जिसे बाद में सीबीआई ने ईडी से साझा किया.
मीडियापार्ट ने दावा किया है कि इस मामले में एक भारतीय आईटी कंपनी आईडीएस (Indian IT company IDS is also involved in this case) भी शामिल है. इस कंपनी ने 1 जून 2001 को इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीस के साथ डील की, जिसमें यह तय हुआ कि डसॉल्ड एविएशन और आईडीएस के बीच जो भी कॉन्ट्रैक्ट होगा, उसकी वैल्यू का 40त्न कमीशन इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीस को दिया जाएगा. आईडीएस अधिकारी ने सीबीआई को बताया कि यह डील गुप्ता के वकील गौतम खेतान ने की थी, जो अगस्ता वेस्टलैंड मामले में जांच के दायरे में है.
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