मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) की बैठक में इसे लेकर संकेत मिले हैं। केंद्र सरकार (Central Government ) की ओर से लंबित मुद्दों के समाधान के लिए ड्राफ्ट सौंपे जाने के बाद इस पर सहमति बनती दिखी है। आंदोलन कर रहे किसानों की मुख्य मांगें तीनों कानूनों को वापस लेने की थी। केंद्र सरकार ने उनकी मांगों को मानते हुए तीनों कानूनों को संसद के जरिए वापस ले लिया। इसके अलावा भी किसानों की कई मांगें लंबित थे। उनमें आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों को वापस लेने और एमएसपी पर गारंटी (Guarantee on MSP) देने की मांग प्रमुख थी।

अब केंद्र सरकार की ओर से किसानों को एक ड्राफ्ट भेजा गया है। इस ड्राफ्ट में सरकार ने पराली जलाने पर आपराधिक धाराएं खत्म करने की बात कही है। इसके अलावा हरियाणा और यूपी में किसान आंदोलन के दौरान दर्ज हुए सभी मामले वापस होंगे। दोनों राज्यों की सरकारों ने इस पर सहमति जताई है। यही नहीं केंद्र और केंद्र शासित प्रदेशों में भी किसानों पर दर्ज सभी केस वापस होंगे। केंद्र सरकार के इस रुख के बाद ही किसान आंदोलन समाप्त करने का फैसला ले सकते हैं। यही नहीं 8 दिसंबर को किसानों की ओर से विक्ट्री मार्च भी निकाला जा सकता है।

आपको बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 4 दिसंबर को सभी विरोध करने वाले किसानों की ओर से सरकार के साथ बातचीत करने के लिए अधिकार प्राप्त समिति का हिस्सा बनने के लिए पांच लोगों का चयन किया। केंद्र सरकार द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रमुख मांग को स्वीकार किए जाने के बाद भी किसानों के मुद्दों पर केंद्र के साथ चर्चा करने के लिए इस समिति का गठन किया गया था।

इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा की सिंघु बॉर्डर पर चल रही मीटिंग समाप्त हो गई है, लेकिन फिलहाल कोई ऐलान नहीं किया गया है। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार की ओर से भेजे गए कुछ प्रस्तावों पर स्पष्टीकरण की जरूरत है। मीटिंग में सभी प्रस्तावों पर लंबी चर्चा हुई है। अब कल यानी 8 दिसंबर को दोपहर 2 बजे फिर मीटिंग बुलाई जाएगी। जिन बिंदुओं पर हमें स्पष्टीकरण की जरूरत है, उसे लेकर सरकार से बात की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के कारण दिल्ली से नोएडा के बीच सड़कों की नाकेबंदी के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई जनवरी 2022 तक के लिए टाल दी है। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर मामले को स्थगित कर दिया, जिन्होंने कहा कि उन्हें "हालिया घटनाक्रम" (तीन कृषि कानूनों को निरस्त) के मद्देनजर निर्देश लेने की जरूरत है। इस मामले में किसान संघों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने मामले की सुनवाई जनवरी में करने का अनुरोध किया।