कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार झुक गई है और डेढ़ साल के लिए इन्हें रोकने की बात कही गई है लेकिन किसान कानून वापसी पर अड़े हैं। दरअसल आज किसानों के साथ 11वें राउंड की बातचीत हुई थी जिसमें सरकार झुकती हुई नजर आई। केंद्र ने किसानों के सामने दो प्रपोजल दिए हैं। केंद्र ने किसानों के सामने प्रस्ताव रखा कि डेढ़ साल तक कृषि कानून लागू नहीं किए जाएंगे और इस संबंध में एक हलफनामा हम कोर्ट में पेश करने को तैयार हैं। इसके अलावा एमएसपी पर बातचीत के लिए नई कमेटी का गठन किया जाएगा। कमेटी जो राय देगी, उसके बाद एमएसपी और कानूनों पर फैसला लिया जाएगा।

अभी भी किसान कानूनों की वापसी पर ही अड़े हुए हैं। सरकार के प्रपोजल पर किसानों ने अलग बैठक की। किसानों और सरकार के बीच अगली बैठक 22 जनवरी को होगी और किसान इसी बैठक में अपना जवाब देंगे।

विज्ञान भवन में जब कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने 40 किसान संगठनों के नेताओं से बातचीत शुरू की थी तो किसानों ने केवल कानून वापसी की ही मांग उठाई। लंच के दौरान किसानों ने कहा कि सरकार हमारी प्रमुख मांगों पर कोई बातचीत नहीं कर रही है। एमएसपी को लेकर हमने चर्चा की बात कही तो केंद्र ने कानूनों का मुद्दा छेड़ दिया। किसान नेताओं ने आंदोलन से जुड़े लोगों को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की तरफ से नोटिस भेजने का भी विरोध किया। संगठनों ने कहा कि एनआईए का इस्तेमाल किसानों को परेशान करने के लिए किया जा रहा है। इस पर सरकार ने जवाब दिया कि अगर ऐसा कोई बेगुनाह किसान आपको दिख रहा है तो आप लिस्ट दीजिएए हम ये मामला तुरंत देखेंगे।

टीकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल बुजुर्ग किसान धन्ना सिंह की बुधवार को मौत हो गई। मौत की वजह अभी पता नहीं चल पाई है। उधर 42 साल के किसान जय भगवान राणा की भी मौत हो गई। रोहतक जिले के रहने वाले राणा ने मंगलवार को सल्फास खा ली थी। वे टीकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल थे। राणा ने सुसाइड नोट में लिखा कि अब यह आंदोलन नहीं रहा, बल्कि मुद्दों की लड़ाई बन गई है।

कृषि कानूनों के मुद्दे पर समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई कमेटी के 3 सदस्यों ने मंगलवार को दिल्ली में पहली बैठक की। इसमें आगे की प्रक्रिया, कब-कब मीटिंग करेंगे, कैसे सुझाव लेंगे और रिपोर्ट तैयार करने पर विचार किया गया। कमेटी के मुताबिक 21 जनवरी को समिति किसान संगठनों के साथ बैठक करेगी। जो किसान नहीं आएंगेए उनसे मिलने भी जाएंगे। ऑनलाइन सुझाव लेने के लिए पोर्टल बनाया गया है। 15 मार्च तक किसानों के सुझाव लिए जाएंगे।

इससे पहले समिति के सदस्यों की निजी राय कानूनों के पक्ष में होने का हवाला देते हुए उन्हें बदलने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि किसी व्यक्ति को उसके पहले के विचारों की वजह से समिति का सदस्य होने के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।