नई दिल्ली। इंडिया बजट 2023 आज यानि 1 फरवरी को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया है। इस बार का बजट ऐसा है जैसा पहले कभी नहीं देखा होगा। इस बार बजट प्रकाशित नहीं होकर ऑनलाइन उपलब्ध कराया जा रहा है। इसमें सबसे खास बात बजट में होने वाली घोषणाएं होती हैं जो अधिकतर लोगों को समझ नहीं आती। ऐसे में यदि आपको बजट को अच्छी तरह से समझना है तो आपको इसमें इस्तेमाल होने वाले शब्दों के बारे में जरूर पता होना चाहिए। इन शब्दों को जानने के बाद आप आसानी बजट को समझ सकते हैं। तो आइए जानते हैं  ये शर्तें या शब्द क्या हैं...

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बजट क्या होता है

कोई भी देश या राज्य सरकार एक वित्त वर्ष में कितनी कमाई करेगी और उसका कहां-कहां कितना खर्च होगा, इस बात की पूरी जानकारी देने को ही बजट कहा जाता है। बजट की घोषणा के दौरान सरकार सभी योजनाओं की घोषणा करती है। ऐसा इसलिए क्योंकि योजनाओं को चलाने में भी सरकार का पैसा खर्च होता है। बजट में ही टैक्स समेत सभी तरह की राहतों की घोषणा भी की जाती है।

बजट कितने तरह के होते हैं

मुख्य रूप से बजट 3 प्रकार के होते हैं। 'बैलेंस बजट' में सरकार की कमाई और उसका खर्च बराबर होता है। 'सरप्लस बजट' में सरकार की खर्च से ज्यादा कमाई होती है। 'डेफिसिट बजट' में सरकार का खर्च कमाई से ज्यादा होता है।

फाइनेंस बिल यानी वित्त विधेयक

यूनियन बजट को पेश करने के बाद जो बिल पास किया जाता है, उसकी को वित्त विधेयक कहा जाता है।

विनियोग विधेयक क्या होता है

वित्त विधेयक के साथ ही सरकार बजट के दूसरे भाग को भी सदन में पेश करती है और इसी को विनियोग विधेयक कहा जाता है। अपने खर्चों की जानकारी इसमें सरकार सदन में रखती है।

महंगाई दर क्या होती है

बजट के दौरान महंगाई शब्द का भी जिक्र किया जाता है। महंगाई का मतलब महंगाई दर से है। इसे पर्सेंट में व्यक्त किया जाता है। महंगाई दर बढ़ने का आसान अर्थ ये है कि मुद्रा की वैल्यू गिर रही है, जिससे खरीदने की क्षमता घटती है। खरीदने की क्षमता घटने का अर्थ ये है कि मांग में कमी आती है।

राजकोषीय नीति क्या होती है

सरकार कैसे पैसा खर्च करेगी और टैक्स सिस्टम क्या होगा यह उसी का ब्लूप्रिंट होता है। इसके लिए सरकार फिस्कल पॉलिसी तैयार करती है और रिजर्व बैंक इसकी मॉनिटरी पॉलिसी तैयार करता है। इसके तहत सरकार महंगाई दर, बेरोजगारी दर और मौद्रिक नीति को लेकर फैसला करती है। अर्थव्यवस्था की हेल्थ के लिए इसको बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

राजकोषीय घाटा क्या होता है

यह सरकार के खर्च और कमाई के बीच का अंतर है। यदि खर्चे सरकार की कमाई से अधिक हो जाते हैं तो उसे ही राजकोषीय घाटा कहा जाता हैं।

राजकोषीय मुनाफा क्या होता है

यदि सरकार की कमाई उसके खर्चों से अधिक होती है तो उसी को राजकोषीय कहा जाता है।

राजस्व घाटा क्या होता है

अगर सरकार की कमाई उम्मीद से कम होती है तो इसी को राजस्व घाटा कहा जाता हैं।

प्राइमरी डेफिसिट क्या होता है

फिस्कल डेफिसिट में पूर्व में लिए गए कर्ज पर इंट्रेस्ट पेमेंट्स को घटाने पर प्राइमरी डेफिसिट निकलकर आता है। इसमें सरकार की तरफ से लिया जाने वाला कर्ज और पुराने कर्ज पर चुकाया जाने वाला इंट्रेस्ट शामिल होता है।

विनिवेश क्या होता है

जब सरकार अपनी संपत्ति को बेचकर कमाई करती है तो इसी को विनिवेश कहा जाता है। सरकार कंपनियों में हिस्सेदारी उसका आईपीओ लाकर भी बेचती है।

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करंट अकाउंट डेफिसिट

यह शब्द भी व्यापार के मामले में काफी अहम है। जब एक देश की तरफ से गुड्स और सर्विस की इंपोर्ट वैल्यू एक्सपोर्ट्स की तुलना में बढ़ जाती है तो उसे करंट अकाउंट डेफिसिट कहा जाता है।

ट्रेड डेफिसिट

ट्रेड डेफिसिट करंट अकाउंट डेफिसिट का बहुत बड़ा हिस्सा होता है। ट्रेड डेफिसिट बढ़ने का मतलब एक देश ज्यादा खरीद रहा है और कम बेच रहा है। निर्यात की तुलना में आयात बढ़ता है तो इसे ट्रेड डेफिसिट कहते हैं।

जीडीपी क्या होती है

बजट और अर्थव्यवस्था के मामले में जीडीपी सबसे महत्वपूर्ण शब्द है। किसी देश द्वारा एक वित्त वर्ष में कितने वैल्यू की गुड्स और सर्विस पैदा की गई उसी को जीडीपी कहते हैं।

प्रत्यक्ष कर

किसी व्यक्ति या संस्थान की आय पर जो टैक्स लगते हैं, वो डायरेक्ट टैक्स की श्रेणी में आते हैं। इनमें इनकम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स शामिल हैं।

अप्रत्यक्ष कर

ऐसा टैक्स जिसे उपभोक्ता सीधे नहीं चुकाते लेकिन आपसे सामानों और सेवाओं के लिए इस टैक्स को वसूला जाता है। देश में तैयार, आयात व निर्यात किए गए सभी सामनों पर जो टैक्स लगते हैं उन्हें इनडायरेक्ट टैक्स कहते हैं।

मौद्रिक नीति

मौद्रिक नीति ऐसी प्रोसेस है जिसकी सहायता से रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में पैसे की आपूर्ति को नियंत्रित करता है। मौद्रिक नीति के तहत कई सारे मकसद साधे जाते हैं। इनमें महंगाई पर अंकुश लगााय जाता है, कीमतों में स्थिरता लाई जाती है और टिकाऊ आर्थिक विकास दर का लक्ष्य हासिल करने की कोशिश की जाती है। रोजगार के अवसर भी तैयार करना होता है।

राष्ट्रीय कर्ज

केंद्र सरकार के राजकोष में शामिल कुल कर्ज को राष्ट्रीय कर्ज कहते हैं। सरकार बजट घाटों को पूरा करने के लिए इस तरह के कर्ज लेती है।

सरकारी कर्ज

यह वह पैसा है जिसें जिसे सरकार सार्वजनिक सेवाओं पर होने वाले खर्च को फंड करने के लिए उधार लेती है। इसे सरकारी कर्ज कहा जाता है।

बजट के बाहर से कर्ज

यह वो कर्ज होता है जो सरकार स्वयं खुद नहीं लेती, लेकिन इसे सरकार के निर्देश पर किसी सरकारी काम या प्रोजेक्ट के लिए ही लिया जाता है।

महंगाई

जब किसी इकॉनमी में सामानों और सेवाओं की कीमतों का दाम कुछ समय के लिए बढ़ जाता है, तो उसे महंगाई कहते हैं।

आयकर

सैलरी, निवेश, ब्याज आदि साधनों से होने वाली आय इनकम अलग-अलग स्लैब के तहत टैक्सेबल होती है। इसका मतलब ये है कि इनकम पर जो टैक्स लिया जाता है उसे आयकर कहते हैं।

ग्रॉस इनकम क्या होती है

ग्रॉस इनकम वह पैसा होता है, जो कंपनी की तरफ से आपको सैलरी के रूप में मिलता है। ग्रॉस सैलरी में बेसिक सैलरी, एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस), ट्रैवल अलाउंस, महंगाई भत्ता या डीए, स्पेशल अलाउंस, अन्य अलाउंस, लीव इनकैशमेंट आदि शामिल होते हैं। इसी को टेक होम सैलरी भी कहा जाता है। आपकी ग्रॉस इनकम कितनी है, ये आपकी कंपनी की तरफ से दिए गए फॉर्म-16 में लिखा होता है।

नेट इनकम क्या होती है

आपकी ग्रॉस सैलरी में से जब लीव ट्रैवल अलाउंस, हाउस रेंट अलाउंस, अर्न्ड लीव इनकैशमेंट जैसे तमाम अलाउंस को घटा दिया जाता है, तो ये आपकी नेट सैलरी बन जाती है।

टैक्सेबल इनकम क्या होती है

जब आपकी नेट सैलरी निकल कर आती है तो उसमें से आपकी सेविंग्स और डिडक्शन को घटाया जाता है। यह इनकम सरकार द्वारा दी गई छूट से ज्यादा होती है तो उस पर इनकम टैक्स लगता है।