जंगल सफारी का लेना है आनंद तो चलिए असम के डिब्रु सैखोवा पार्क के सफर पर

- इन गर्मियों में कहीं घूमने जाने का मन बना रहे हैं और अगर आपको भी एडवेंचर पसंद है तो आपके लिए आज हम एक बेस्ट वाइल्ड लाइफ सफारी लेकर आएं हैं
इन गर्मियों में कहीं घूमने जाने का मन बना रहे हैं और आपको एडवेंचर पसंद है तो आपके लिए असम के डिब्रगूढ़ स्थित सैखोवा नेशनल पार्क से खूबसूरत कोई जगह नहीं हो सकती है। यहां के जंगलों में आप खुद को प्रकृति के काफी करीब पाएंगे। सैखोवा नेशनल पार्क मुख्य रूप से सफेद पंखों वाले देवहंस के संरक्षण के लिए बनाया गया था। बाद में यह राष्ट्रीय उद्यान जंगली घोड़ों और चमकदार सफेद पंखों वाली बतख के रूप में प्रसिद्ध हो गया। यहां पक्षियों की करीब 350 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं।

सैखोवा नेशनल पार्क
लगभग 11.19 वर्ग क्षेत्र में फैला यह अभ्यारण्य असम घाटी के डिब्रूगढ़ तथा तिनसुकिया जिलों के मध्य स्थित है। यह अरुणाचल प्रदेश की सीमा के करीब भी है तथा यहां प्रसिद्ध स्टिलवेल रोड समेत द्वितीय विश्व युद्ध के कब्रिस्तान भी हैं। यहां पाये जाने वाले कुछ स्तनधारियों में चीनी वज्रदेही , स्टंप मकाक, हिमालयी काला हिरन और मलायी विशालकाय गिलहरी शामिल हैं। यहां छोटा चमरघेंघ, सफेद पंखों वाली बतख, सफेद कपोलों वाला पहाड़ी तीतर, खलीज तीतर, ग्रे मोर,रूफुस गर्दन वाला हार्नबिल समेत पक्षियों की कई अन्य प्रजातियां भी पाई जाती हैं। इस अभ्यारण्य की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय सितंबर और मार्च के महीने के बीच रहता है। मोहनबाड़ी (डिब्रूगढ़) हवाई अड्डे से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह अभयारण्य ऊपरी असम के डिगबोई, दुलियाजान और मार्गेरिटा कस्बों के भी करीब है।
सफेद पंखों वाला देवहंस

मॉनिटर छिपकली
इस राष्ट्रीय उद्यान में सरी-सृप जीव भी समान रूप से पाए जाते है। यहाँ मॉनिटर छिपकली के 2 प्रजातियां, कछुए और सांप की 8 प्रजातियों में से 8 प्रजाति अब तक दर्ज की गयीं है। तटीय और दलदली इलाका होने के कारण विभिन्न प्रजातियों के मछलियाँ यहां मिलती हैं। इस पार्क में मछलियों के 62 प्रजातियां दर्ज की गयीं है।

एक आकर्षक पर्यटन स्थल
कैसे पहुंचे
डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान पहुंचने के लिए तिनसुकिया शहर आने की जरूरत है, जहां से राष्ट्रीय उद्यान के लिए बसें, टैक्सियां और ऑटोरिक्शा तिनसुकिया में उपलब्ध हैं। इसके अलावा निजी वाहन से भी उद्यान जाया जा सकता है। मानसून के दौरान यह राष्ट्रीय उद्यान बंद रहता है। इसी समय कई प्रवासी पक्षी यहां प्रजनन के लिए यहां आते हैं। उनके प्रवास में कोई खलल न पड़े, इसलिए भी यह मई से अक्टूबर के महीने तक बंद रहता है। नवंबर से अप्रैल महीने तक यह खुला रहता है।