टीम इंडिया के पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर (Dilip Vengsarkar)  ने विराट कोहली (Virat Kohli) से वनडे कप्तानी छीनने के बाद सौरव गांगुली (Sourav Ganguly ) ने जिस तरह से इस मामले को हैंडल किया, उससे काफी नाराज हैं। उनका मानना है कि इस विवाद पर सिलेक्टर्स की जगह सौरव गांगुली को आगे आकर बयान देने की जरूरत नहीं थी। 

दिलीप वेंगसरकर जो खुद ही पहले सिलेक्टर रह चुके हैं, उनका मानना है कि सिलेक्टर्स चीफ को इस मामले पर बयान देना चाहिए था। कोहली के इस खुलासे ने भारतीय क्रिकेट में घमासान मचा दिया था कि उन्हें 8 दिसंबर की मीटिंग में वनडे कप्तानी से हटाने के बारे में खबर मिली थी। 

 वेंगसकर ने कहा,' बात ये है कि सौरव गांगुली को सिलेक्शन (Sourav Ganguly had no right to come forward and give a statement)  कमेटी की जगह खुद सामने आकर बयान देने का कोई अधिकार नहीं था। गांगुली बीसीसीआई के (Ganguly is the President of BCCI) अध्यक्ष हैं। टीम में चयन और कप्तानी के विवाद पर चीफ सिलेक्टर को सामने आकर बयान देना चाहिए।' 

गांगुली ने 9 दिसबंर को मीडिया से कहा कि उन्होंने और बीसीसीआई ने विराट कोहली ने टी-20 की कप्तानी नहीं छोड़ने का अनुरोध किया था। इसके उलट कोहली ने वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनसे कप्तानी छोड़ने को लेकर किसी ने कोई अनुरोध नहीं किया था। 

पूर्व बल्लेबाज ने कहा,' गांगुली ने पूरे मामले पर अपनी राय रखी। जाहिर तौर पर विराट अपनी बात स्पष्ट करना चाहते थे। मेरा मानना है कि ये चयन समिति के अध्यक्ष और कप्तान के बीच का मामला था। चयन समिति द्वारा एक कप्तान को चुना या हटाया जाता है, ये गांगुली के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।' जिस तरह से इस पूरे मामले को हैंडल को किया गया  वेंगसरकर ने उस पर हैरानी जताई। 

विराट ने भारतीय क्रिकेट और अपने देश के  लिए अहम योगदान दिया है और वो एक बेहतर विदाई के हकदार थे। उन्होंने कहा कि भारतीय कप्तानों को बेवजह बर्खास्त करने की बोर्ड की सदियों पुरानी परंपरा को बदलने की जरूरत है।