
अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैचों में अपना खम दिखने वाले फुटबॉल खिलाड़ी कोरोना में किक मारना भूल गये हैं। पेट की आग और घर की जिम्मेदारी के कारण कोई पत्तल बेच रहा है, कोई ईंट के भट्ठे में कुली की तरह ईंट ढो रहा है तो कोई खेतों में कुदाल चलाकर अपना पेट भर रहा है। हम बात कर रहे हैं झारखण्ड की प्रतिभावान फुटबॉल खिलाड़ियों की।
हेमन्त सरकार की नई खेल नीति भी इनके काम नहीं आ पा रही है। पिछले लॉकडाउन में इनकी बदहाली जानने के बावजूद सरकार ने सीख नहीं ली। या कहें इन सितारों के लिए कोई मुकम्मल इंतजाम नहीं कर सकी। अंतर्राष्ट्रीय मैच में हिस्सा लेने के बावजूद इन्हें एक नौकरी तक नसीब नहीं हुई। धनबाद की संगीता सोरेन हो या धनबाद की ही आशा या और दूसरे नाम।
विदेशी मैदान में किक पर तालियां बटोरने वालों को इस दौर से गुजरना पड़े तो उनकी मन:स्थिति की कल्पना कर सकते हैं। पिछली बार दोना बनाते तस्वीर वायरल हुई थी तो मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने संज्ञान लिया था, दस हजार रुपये उसे भेज गये थे। इस बार ईंट भट्ठे में मजदूरी करते तस्वीर वायरल हुई तो राष्ट्रीय महिला आयोग के साथ केंद्रीय खेल मंत्री आगे आए।
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