असम के गुवाहाटी में जन्मे और अर्जून पुरस्कार से सम्मानित जयन्त तालुकदार भारत के प्रथम तीरंदाज है जिन्होंने विश्व के नंबर वन तीरंदाज होने का कीर्तिमान कायम किया था। उन्हें तीरंदाजी में उकृष्ट प्रदर्शन के लिए वर्ष 2007 'अर्जुन पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। उन्होने यह सफलता 2005 में क्रोएशिया में 'फीटा माटेकसन आर्चरी वर्ल्ड कप' में स्वर्ण पदक जीतने के बाद 2006 में सैफ खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। इस जीत के साथ ही वे विश्व रैंकिंग में नंबर वन तीरंदाज बन गए।


जयन्त तालुकदार का नाम भारत के सर्वश्रेष्ठ तीरंदाजों में लिया जाता है। उन्होंने अति युवा खिलाड़ी के रूप में अपने खेल की शुरुआत करके भारत के सर्वश्रेष्ठ तीरंदाजों में अपना स्थान बनाया है।


जयन्त का जन्म 2 मार्च 1986 में गुवाहाटी में हुआ था। उनके पिता खदान के मालिक हैं। जयन्त परिवार के सबसे छोटे बेटे हैं। जयन्त खिलाड़ी के रूप में तब पहचान में आए जब गुवाहाटी में तीरंदाजी के कोचों के द्वारा प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का कैम्प लगाया गया था। फिर उन्होंने टाटा तीरंदाजी अकादमी, जमशेदपुर में तीरंदाजी की ट्रेनिंग प्राप्त ली। वहीं पर उन्होंने अपने कोचों को अपने सही निशानेबाजी की कुशलता से प्रभावित कर दिया।


2004 में जयन्त एक अत्यन्त प्रतिभावान खिलाड़ी के रूप में उभरे जब उन्होंने जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रिटेन में भारतीय टीम में अपना बेहतरीन प्रदर्शन किया और टीम ने विश्व स्तर पर रजत पदक प्राप्त किया। इस प्रकार तीरंदाजी में भारतीय खिलाड़ियों ने पहली बार विश्व स्तर पर कोई पदक प्राप्त किया जिसका मुख्य श्रेय जयन्त तालुकदार को दिया गया।


2005 में जयन्त पुन: भारत के शीर्ष तीरंदाजों में रहे जब उन्होंने कोच्चि में सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप मुकाबले में बड़े नामी खिलाड़ियों को हरा दिया। इसी वर्ष यानी 2005 में जयन्त ने एक इतिहास रच डाला जब उन्होंने क्रोएशिया के पोरेक में 'फीटा माटेकसन आर्चरी वर्ल्ड कप' टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीत लिया। वह विश्व स्तर पर व्यक्तिगत खिलाड़ी के रूप में रैंकिंग में विश्व के नम्बर दो खिलाड़ी बन गए थे।

वर्ष 2006 में जयन्त तालुकदार ने कोलंबो में हुए दक्षिण एशियाई (सैफ) खेलों में अपने प्रतिद्वन्दी तरुनदीप राय को हरा कर पुरुषों का तीरंदाजी का स्वर्ण पदक जीत लिया। जयन्त विश्व कप फाइनल में पहुंचने वाले भारत के प्रथम तीरंदाज हैं। उन्हें वर्ष 2006 के लिए 'अर्जुन पुरस्कार' प्रदान किया गया है।


साल 2009 में कोपनहेगन में हुए विश्व हारने के बाद भी टाटा स्टील ने उन्हें नंबर वन की तरह स्पोंसर किया था। साल 2012 के लंदन ओलंपिक में एकल और टीम मुकाबले में इन्हें हार का समना करना पड़ा था। नवंबर 2015 को जयंत और दीपिका कुमारी की मिश्रित टीम ने एशियन आर्चरी चैंपियनशिप में कास्य पदक जीता था।