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भारत ने मंगलवार को सेपक टकरा कैटेगरी में एशियार्इ खेलों में पहला मेडल जीता। टीम इंडिया ने र्इरान को हराने के बाद सेमिफाइनल का पहला सफर तय किया। दूसरे मैच में गत विजेता थाइलैंड से 0-2 से हार गई, लेकिन उसने कांस्य जीता क्योंकि सेमीफाइनल में हारने वाली दोनों टीमों को पदक दिया जाता है।
आपको बता दें कि सेपक टकरा भारत के नॉर्थ ईस्ट का प्रसिद्ध खेल है। यह खेल वॉलीबॉल, फुटबॉल और जिम्नास्टिक का मिश्रण है। इस खेल को इंडोर हाल में 20 गुणा 44 के आकार की जगह में सिंथेटिक फाइबर की गेंद से इस खेल को खेला जाता है। यह खेल दो प्रकार से खेला जाता है। पहला टीम इवेंट होता है, जिसमें 15 खिलाड़ी होते हैं आैर दूसरा रेगू इवेंट होता है, इसमें 5 खिलाड़ी इस खेल में शामिल होते हैं। सबसे खास बात ताे यह है कि एशियाई खेलों में भारत 2006 से इस खेल में भाग ले रहा है, लेकिन एेसा पहली हुआ जब उसने पदक हासिल किया हो।
1990 से एशियन गेम्स में शामिल है सेपक टकरा
इस खेल को 1990 के एशियन गेम्स में शामिल किया गया। हरियाणा सरकार ने खेल नीति स्कूल शिक्षा विभाग ने सेपक टाकरा खेल को मान्यता दे रखी है। पिछले कई सालों से हरियाणा के खिलाड़ी इस खेल में मेडल जीत रहे हैं। भारत सरकार इस खेल को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है। देश के राज्य स्तर पर कई जगह प्रतियोगिताएं हो रही हैं।
थाईलैंड सबसे मजबूत टीम
गौरतलब है कि इस खेल में थाईलैंड और मलेशिया एक मजबूत टीम है। थाइलैंड ने एशियाई खेलों में सेपक टकारा में अब तक 22 स्वर्ण पदक जीते हैं, जबकि मलेशिया के खाते में 3 स्वर्ण हैं। मुख्य कोच हेमराज ने कहा कि भारतीय टीम पिछले दो महीने से थाईलैंड से प्रशिक्षण ले रही थी और इससे उसके प्रदर्शन पर असर पड़ा। उन्होंने एक न्यूज एजेंसी से बताया कि हमारे खिलाड़ी अब आगे इससे बेहतर प्रदर्शन ही करेंगे।
#History has been created!#India has won a medal in Sepak Takraw for the 1st time in the Asian Games!
— SAIMedia (@Media_SAI) 21 August 2018
The team proudly brings home a?in the Men’s Team Regu event
Many congratulations!? #IndiaAtAsianGames #TeamIndia #SepakTakraw #AsianGames2018 #ProudIndia #SAI?? pic.twitter.com/tCuRQFto2B
इस खेल में मणिपुर के 12 सदस्य शामिल
मणिपुर में यह खेल काफी लोकप्रिय है और टीम के 12 सदस्यों में से आठ मणिपुर के, जबकि अन्य दिल्ली के है। टीम के एक अन्य अधिकारी मुहिंद्रो सिंह थोकचोम ने कहा, ‘देश के बाकी हिस्से के लोगों की तुलना में मणिपुर के लोग खेल को तेजी से समझते हैं। वे नैसर्गिक रूप से चुस्त होते हैं और पैरों का काफी अच्छे से इस्तेमाल करते हैं।'
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