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21वें कॉमनवेल्थ खेलों में वेटलिफ्टिंग इवेंट में भारत को एक और पदक मिल गया है। 69 किलो कैटेगरी में भारत के दीपक लाठेर ने ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया। इसके साथ ही भारत की वेटलिफ्टिंग में पदकों की संख्या चार हो गई है, जिसमें दो गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल है। बता दें कि इससे पहले मणिपुर की वेटलिफ्टर संजीता चानू ने 53 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड मेडल जीता। वेटलिफ्टिंग इवेंट में भारत को यह दूसरा गोल्ड मेडल मिला है। पहले दिन मणिपुर की ही मीराबाई चानू ने भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाया था। आपको बता दें कि इस इवेंट में नॉर्थ ईस्ट से कुल 9 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं, जिनमें से दो खिलाडिय़ों ने भारत की झोली में गोल्ड डाल दिया। नॉर्थईस्ट के राज्यों की भारत की आबादी में हिस्सेदारी 3.7 फीसदी है, लेकिन इन राज्यों के युवा खेलों में अपनी रुचि के लिए जाने जाते हैं, खासकर मणिपुर के युवा।
पूर्वोत्तर की 910 महिला खिलाड़ी ले रही हैं ट्रेनिंग
स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के जून 2017 तक के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यहां अलग अलग राज्यों के 14000 प्रतिभावान खिलाडयि़ों को ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें 10000 पुरुष और 4000 महिला खिलाड़ी शामिल हैं। स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया जिन 4000 महिला खिलाडिय़ों को ट्रेनिंग दे रहा है उनमें से 910 खिलाड़ी अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा से हैं। ये खिलाड़ी 27 स्पोट्र्स कैटेगरी में रेजिडेंशियल और नॉन रेजिडेंशियल बेसिस पर स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के 290 सेंटर्स में ट्रेनिंग पा रहे हैं। देशभर में साई की 14 रिजनल फुटबॉल एकेडमी हैं, इनमें से एक इंफाल में स्थित है।
स्पोट्र्स कल्चर को बढ़ा रहे हैं नॉर्थईस्ट के खिलाड़ी
बता दें कि यहां के स्पोट्र्स कल्चर को बढ़ाने में नॉर्थईस्ट के खिलाडिय़ों का बड़ा योगदान है। यहां मैरीकॉम और कुंजारानी देवी ने अपनी बॉक्सिंग और वेटलिफ्टिंग एकेडमी खोली है। जहां युवा खिलाडयि़ों को मुफ्त कोचिंग, रहने के लिए हॉस्टल और फ्री में खाना दिया जाता है। इसके अलावा इन खिलाडिय़ों के कॉम्पटिशन में शामिल होने का खर्च भी एकेडमी वहन करती है। भारतीय फुटबॉल के आईकन बाईचुंग भूटिया ने नॉर्थईस्ट के राज्यों में अपना फुटबॉल स्कूल खोला है। दिल्ली और मुंबई में भी भूटिया के स्कूल संचालित हो रहे हैं।
केंद्र सरकार दे रही है विशेष ध्यान
इसके साथ ही केंद्र सरकार ने पांच नेशनल स्पोट्र्स एकेडमी बनाने का निर्णय लिया है, जिसमें से नेशनल आर्चरी एकेडमी की स्थापना असम के गुवाहाटी में होनी है। इंटरनेशनल एजुकेशन एंड रिसर्च जर्नल में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक असम और मणिपुर में सिंथेटिक एथलेटिक्स ट्रैक्स बन चुके हैं, इन ट्रैक्स पर किसी भी तरह के मौसम में एथलेटिक्स इवेंट का आयोजन हो सकता है। नॉर्थईस्ट राज्यों को खेल के क्षेत्र में कारपोरेट जगत की बड़ी कंपनियां स्पॉन्शर कर रही हैं। पब्लिक सेक्टर की कई कंपनियां भी इन क्षेत्रों में फिजिकल एजुकेशन और स्पोट्र्स को प्रमोट करने में अपना पैसा खर्च कर रही हैं।
स्थानीय लोगों की भी है खेलों में रुचि
सरकार और खिलाडिय़ों के प्रयास के अलावा यहां के लोगों की भी खेलों में खासी दिलचस्पी देखी जा रही है। यहां के स्थानीय लोग चाहते हैं कि फिजिकल एजुकेशन को स्कूल और कॉलेजों में अनिवार्य किया जाए। उनका मानना है कि युवाओं के संपूर्ण विकास में खेलों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। जब देश के अन्य राज्यों में खेलों को समय की बर्बादी और पढ़ाई से युवाओं का ध्यान भंग करने का कारण माना जाता है। नॉर्थईस्टर्न राज्यों के खिलाड़ी देश में नए आयाम स्थापित कर रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश, असम और मणिपुर के 82.77 फीसदी लोगों का मानना है कि फिजिकल एजुकेशन और स्पोट्र्स का इन क्षेत्रों के युवाओं को ड्रग एडिक्शन, एचआईवी संक्रमण, शराब की लत और आतंकी गतिविधियों में भागीदार बनने से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
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