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गोरखा राष्ट्रीय काग्रेस केन्द्रीय कमेटी के तत्वावधान में यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए चीफ कोऑडिनेटर सुबोध पाठीन ने कहा कि गोरखा राष्ट्रीय काग्रेस (गोराका)का जन्म सिक्किम - दार्जिलिंग एकीकरण के लिए हुआ है। इसका प्रमुख मुद्दा सिक्किम - दार्जिलिंग एकीकरण है।
उन्होंने बताया कि यह एक राजनैतिक पार्टी होने के नाते दार्जिलिंग के लिए स्थायी राजनैतिक समाधान को लेकर यथाशीघ्र होनेवाली त्रिपक्षीय वार्ता के संदर्भ में नौ सूत्री बूंदाओं को समावेश कर एक ज्ञापन-पत्र पार्टी की ओर से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजा गया है। इसकी प्रतिलिपि गृहमंत्री,पश्चिम बंगाल व सिक्किम के राज्यपाल व दार्जिलिंग के सासद को भी प्रदान किया गया है।
उन्होंने बताया कि अवशोषित क्षेत्र कानून अधिनियम -1954 को 05 जनवरी - 2018 के दिन खारिज कर दिया गया है। इसके तहत अब दार्जिलिंग में बंगाल सरकार द्वारा कोई कानून लगाने का नैतिक अधिकार नहीं है। इसलिए राष्ट्रीय हित, सुरक्षा व अखंडता के लिए आज के दिन सिक्किम - दार्जिलिंग एकीकरण होना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि गोराका के विरोध करने से अवशोषित क्षेत्र कानून अधिनियम -1954 रद्द हुआ है। बंगाल व दार्जिलिंग से संबंधित पूर्व की इतिहास बताते हुए उन्होंने कहा कि जब इस कानून को रद्द कर दिया गया है तो,त्रिपक्षीय वार्ता में बंगाल सरकार को रखने का कोई औचित्य ही नहीं है।
उन्होंने बताया कि प्रस्तावित त्रिपक्षीय वार्ता भारत सरकार,सिक्किम राज्य सरकार व दार्जिलिंग जिले के राजनैतिक पार्टी गोरखा राष्ट्रीय काग्रेस के बीच करने की माग भी ज्ञापन -पत्र में समावेश किया गया है,जो वर्ष-2004 से ही सिक्किम - दार्जिलिंग को एकीकरण करने की माग कर रही है। उन्होंने कहा कि इस इश्यू को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार को विरोध जताने का कोई अधिकार नहीं बनता है।
केन्द्रीय कमेटी अध्यक्ष भरत दोंग ने कहा कि ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार में दार्जिलिंग का भूभाग सिक्किम व भूटान का है। पश्चिम बंगाल सरकार ने भी इसके संदर्भ में वर्ष - 1986 में ही श्वेत पत्र जारी किया था। अवशोषित क्षेत्र कानून अधिनियम -1954 खारिज होने के बाद से अब दार्जिलिंग का भूभाग न्यूट्रल हो गया है। अब यह भूभाग कहा जायेगा? यह एक गंभीर विषय बना है।
उन्होंने स्थायी राजनैतिक समाधान कहने का तात्पर्य सिक्किम-दाíजलिंग एकीकरण बताते हुए कहा कि गोरखालैंड किसी हालत में नहीं होगा। इसका चैप्टर तो वर्ष- 1986 में ही क्लोज हो गया। गोरखालैंड स्थायी राजनैतिक समाधान नहीं है।छठी अनुसूची व यूटी (स्वायत शासन )भी नहीं होगा। उन्होंने यह भी बताया कि यदि सिक्किम सरकार अपनी भूभाग को क्लेम ना करे तो,एक दिन ऐसा आयेगा जब सिक्किम एक राज्य के बदले जिला के रूपमें परिवर्तन हो जायेगा। कारण दार्जिलिंग की जनसंख्या तकरीबन 20 से 22 लाख है,जबकि सिक्किम राज्य की जनसंख्या तकरीबन साढ़े 6 लाख मात्र है। उन्होंने बताया कि सिक्किम को लेकर भारत सरकार काफी घाटे में है।
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