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गंगटोक। सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के संस्थापक अध्यक्ष पवन कुमार चामलिंग ने राज्य के नेपालियों को लेकर की गई सुप्रीम कोर्ट की टिप्पनी पर बड़ा बयान दिया है। 13 जनवरी को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद से सिक्किम पिछले कुछ हफ्तों से उथल-पुथल की स्थिति में है। दरअसल इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सिक्किम में आयकर छूट से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि सिक्किम की आबादी में पुराने बसे भारतीयों और मूल निवासियों के बीच कोई अंतर नहीं है और उन्हें कर छूट की अनुमति दी। लेकिन सुनवाई के दौरान सिक्किम के नेपालियों के लिए ‘विदेशी मूल के लोग’ शब्द का इस्तेमाल करने से विरोध भड़क उठा।
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भले ही सिक्किम के नेपाली लोगों के लिए ‘आपत्तिजनक’ संदर्भ केंद्र सरकार की तरफ से एक समीक्षा याचिका दायर करने के बाद हटा दिया गया था, लेकिन चामलिंग ने कहा कि अनुच्छेद 371F के तहत सिक्किम के लोगों को दिए गए विशेष प्रावधान –जो अगस्त 2019 से पहले जम्मू और कश्मीर के अनुच्छेद 370 के समान ही थे- को कमजोर किया गया है। 25 साल तक सिक्किम की सरकार चलाने वाले 73 वर्षीय चामलिंग ने कहा कि राज्य में ‘शांति और स्थिरता’ लाने के लिए वह अगले साल विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।
उन्होंने कहा, ‘मैं यह देखकर आहत हूं कि जिन लोगों ने फरवरी 1975 के जनमत संग्रह में भारत में विलय के लिए मतदान किया था, उन्हें अब विदेशी करार दिया जा रहा है। उनके अधिकार दांव पर हैं।’ चामलिंग के माता-पिता नेपाली मूल के हैं और वह बड़े गर्व के साथ अपनी पहचान के बारे में बात करते हैं। उन्होंने कहा कि वो नेपाली मूल के लोग ही थे जिन्होंने उज्ज्वल भविष्य की आकांक्षा रखते हुए विलय के लिए मतदान किया था।
उन्होंने कहा, विलय के लिए डाले गए कुल वोटों में से 80 प्रतिशत नेपालियों के वोट थे और अब इन लोगों को ‘प्रवासी’ कहा जा रहा है। मैंने भी जनमत संग्रह में मतदान किया था और आज हम सब विदेशी हैं। यह लोगों का अपमान है और इस तरह की उथल-पुथल के पीछे की वजह राज्य सरकार की अक्षमता है। विलय के बाद चामलिंग नर बहादुर भंडारी की पार्टी सिक्किम संग्राम परिषद में शामिल हो गए थे। भंडारी 1979 से 1994 के बीच सीएम रहे। बाद में 1993 में चामलिंग ने एसडीएफ की स्थापना की।
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उन्होंने बताया कि सिक्किम देश के संवेदनशील सीमावर्ती राज्यों में से एक है, लेकिन इसने प्रगति की है और शांति बनाए रखने में कामयाब रहा है। लेकिन हाल ही में राज्य में कानून व्यवस्था और प्रशासन ध्वस्त होते नजर आए हैं। लोग असुरक्षित और चिंतित महसूस कर रहे हैं। चामलिंग ने चेतावनी देते हुए कहा, ‘अगर केंद्र ने इसका तुरंत इसका समाधान नहीं निकाला, तो स्थिति बिगड़ सकती है।’ उन्होंने कहा, ‘यह तो शुरुआत है।’
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