भारत की सीमा पर चीन अपनी चालबाज़ी करता ही रहता है। यह पहला मौक़ा नहीं है जब चीन ने तिब्बत की ज़मीन पर अपना रास्ता चौड़ा किया है। चीन अब सिर्फ़ रास्ता ही नहीं बल्कि गांव भी बसा रहा है। अब आप सोचेंगे की सीमा पर गांव बसाने की क्या ज़रूरत है? लेकिन यह चीन की सोची समझी साज़िश है। चीन सीमा पर गांव बसा कर वहां अपनी सेना के लिए आने-जाने का रास्ता बढ़ा रहा है। उस रास्ते को चौड़ा कर रहा है। भारत की सिक्किम में सीमा के नज़दीक आने की कोशिश में कुछ हद तक सफल भी हो रहा है। 

सिक्किम की सीमा से लगते दूर-दूर तक सिर्फ पहाड़ नजर आते है जहां एक पहाड़ से दूसरे तक जाने में कई घंटे और कभी कभी दिन भी लग जाते है। लेकिन चीन की तरफ़ पहाड़ को काट के लंबे रास्ते बन गए है। रास्ते भी ऐसे की tanker भी कुछ घंटो में border तक पहुँच जाए और भारत में इसका ठीक उल्टा है।

ज़मीन पर क़ब्ज़ा

हर बार की तरह धीरे-धीरे चीन भारत की तरफ़ एक एक इंच ज़मीन पर अपनी मिल्कियत साबित करने के लिए विवादित सीमा के पास सरकारी खर्च पर मकान बनाकर उसमें लोगों के लिए रहने की जगह बना रहा है।

तिब्बत के लिए नया चक्रव्यूह

सीमा के पास रिहायशी इलाक़े से सुरक्षा और असुरक्षा दोनों होती है। लेकिन चीन की सरकार की यह पॉलिसी पुरानी है, जिसमें वो अपने लोगों को सत्ता पर क़ाबिज़ रहने के लिए मोहरा समझती है। इसलिए सीमा के पास वो तिब्बत के लोगों को बसा रहा है। तिब्बत में वर्षों से हो रहे विरोध का वो अब एक नया तोड़ निकाल रहा है। 1957 में भारत आए दलाई लामा आज भी जब अरुणाचल जाते हैं तो चीन अपनी नाराज़गी दर्ज करवा देता है। अब तिब्बत के इलाक़ों में घर बना के वहां के लोगों के दिल में अपनी जगह बना के विश्व में अपनी छवि बेहतर करने का प्रयास भी कर रहा है। 

ख़ुफ़िया घेरा

चीन को इससे ख़ुफ़िया जानकारी भी मिलती रहेगी और गांव वालों के ज़रिए वो वहाँ विकास के नाम पर सेना की आवाजाही बढ़ा देगा।  भारत के लिए मुश्किल इस मामले में कई गुना ज़्यादा है क्योंकि सिक्किम के पहाड़ों में अभी गांव तो है लेकिन विकास कई किलोमीटर पीछे रह गया है। 

अब भारत भी इस पर ज़ोर दे रहा है और सिक्किम और चीन की सीमा के पास शुरुआत हो रही है गांव बसाने की जो जल्द ही सम्भव हो जायेगा।