मणिपुर में हिंसा के बाद 10 आदिवासी विधायकों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर पुलिस पर बड़ा गंभीर आरोप लगाया है। आदिवासी विधायकों का आरोप है कि मैतेई व कुकुी हिंसा के पहले मणिपुर पुलिस ने कुकी पुलिस से सारे अधिकार छीन लिए और उन्हें नि:शस्त्र कर दिया। हालांकि, आदिवासी विधायकों के आरोपों को राज्य पुलिस प्रमुख ने खारिज कर दिया है।

ये भी पढ़ेंः मणिपुर हिंसा पर बोली कांग्रेस, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, पीएम मोदी अभी भी चुप हैं


मणिपुर में बीजेपी के नेतृत्व की सरकार है। यहां के दस विधायकों ने गृहमंत्री अमित शाह को लेटर लिखकर कुकी पुलिस के साथ अत्याचार का आरोप लगाया है। लेटर लिखने वाले विधायकों में 7 बीजेपी और 3 उसकी सहयोगी पार्टी कुकी पीपुल्स अलायंस के हैं। इन लोगों ने राज्य में आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन की मांग की है। आदिवासी विधायकों ने कहा कि वह अब एक साथ नहीं रह सकते। विधायकों के पत्र में यह भी आरोप लगाया कि सभी कुकू पुलिस अधिकारियों से सभी शक्तियां छीन ली गईं। 

ये भी पढ़ेंः मणिपुर में सीयूईटी परीक्षा 29 मई से, श्रीनगर में बन सकता है अस्थाई परीक्षा केंद्र


राज्य की राजधानी इंफाल घाटी में और उसके आसपास रहने वाले मैतेई और पहाड़ियों में बसे कुकी जनजाति के बीच खूनी झड़प हुई है। 3 मई से लगातार हुई झड़प में कम से कम 70 लोगों की मौत हो चुकी है। यह लोग घाटी में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों में शामिल होने की मांग कर रहे थे। उधर, मणिपुर के पुलिस महानिदेशक पी डोंगल ने कहा कि सरकार द्वारा ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई। डीजीपी से लेकर सबसे निचली रैंक तक के सभी कुकी / मैतेई पुलिसकर्मी, चाहे खाकी में हो या हरे रंग में, सभी जहां हैं वहां काम कर रहे हैं।