संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की "कोलकाता में दुर्गा पूजा" की मान्यता का सम्मान करने के लिए, पश्चिम बंगाल अगले साल दुर्गा पूजा से 10 दिन पहले उत्सव शुरू करेगा। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) ने कहा कि "हमें UNESCO प्रमाणन मिला है। नतीजतन, दुर्गा पूजा (Durga Puja) से 10 दिन पहले शानदार बड़ा जश्न शुरू किया जाएगा ।"
UNESCO ने "कोलकाता में दुर्गा पूजा" को "मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची" पर रखा। दुर्गा पूजा (Durga Puja) पश्चिम बंगाल में एक प्रमुख वार्षिक त्योहार है जो हिंदू महीने अश्विन (सितंबर-अक्टूबर) के शुक्ल पक्ष में होता है। यह भारत के अन्य हिस्सों में भी देखा जाता है, खासकर बंगालियों (Bengalis) के बीच जो विदेशों में रहते हैं।

पूरे दस दिवसीय उत्सव में देवी दुर्गा (Durga Puja) की पूजा की जाती है। कोलकाता में हस्तशिल्प कार्यशालाएं त्योहार (लक्ष्मी, सरस्वती, कार्तिक और गणेश) से कुछ महीने पहले गंगा की नदी के किनारे की मिट्टी का उपयोग करके दुर्गा और उनके बच्चों की मूर्तियों का निर्माण करती हैं। महालय दिवस (Mahalaya Day) पर, उत्सव की शुरुआत देवी मूर्ति की आंखों को रंगने की 'प्राण प्रतिष्ठा' की रस्म के साथ होती है।
त्योहार के प्रत्येक दिन, चाहे षष्ठी, सप्तमी, या अष्टमी, का अपना महत्व और उत्सवों का सेट होता है। मूर्तियाँ उस नदी में डूबी हुई हैं जहाँ से उत्सव के दसवें दिन विजया दशमी (Vijaya Dashami) को मिट्टी इकट्ठी की गई थी। दुर्गा पूजा (Durga Puja) को धार्मिक महत्व के अलावा करुणा, बंधुत्व, मानवता, कला और संस्कृति के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।