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मोटापे को स्वास्थ्य विशेषज्ञ तमाम प्रकार की गंभीर बीमारियों के प्रमुख कारणों के रूप में देखते हैं। पिछले दो दशकों के आंकड़े देखें तो छोटे बच्चों और वयस्कों में मोटापे की समस्या को काफी तेजी से बढ़ता हुआ देखा गया है। इसी से संबधित हाल ही में किए गए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने चेताया है कि आने वाले वर्षों में अन्य आयु वर्ग की तुलना में 18 से 24 वर्ष के युवा वयस्कों में अधिक वजन होने या मोटापे का जोखिम सबसे अधिक हो सकता है। ऐसे में डर है कि दो-तीन दशकों के बाद हृदय रोग और डायबिटीज रोगियों की संख्या में काफी इजाफा हो सकता है। इस खतरे को ध्यान में रखते हुए सभी स्वास्थ्य संगठनों को मोटापे की रोकथाम नीतियों पर सख्ती से काम करने की आवश्यकता है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल), कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और बर्लिन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एट चैरिटे-यूनिवर्सिटैट्समेडिज़िन बर्लिन के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में पाया गया कि युवाओं में मोटापे का खतरा तेजी से बढ़ रहा है जिसे रोकने के लिए आवश्यक उपाय बहुत जरूरी है। अगर इस दिशा में सख्ती से कदम नहीं उठाए गए तो अगली पीढ़ी गंभीर रोगों का बहुत कम उम्र में ही शिकार हो सकती है। आइए आगे की स्लाइडों में इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने भविष्य की गंभीर समस्याओं को लेकर आगाह किया है। शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए साल 1998 से लेकर 2016 के बीच इंग्लैंड में 2 मिलियन (20 लाख) से अधिक वयस्कों में उम्र के आधार पर वजन बढ़ने की समस्याओं का अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि अगले 10 वर्षों में 65-74 वर्ष की आयु वालों की तुलना में 18 से 24 वर्ष की आयु वाले वयस्कों में मोटापे की आशंका चार गुना अधिक हो सकती है।
शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों को उनकी वर्तमान वजन और ऊंचाई, आयु, लिंग, जातीयता और सामाजिक आर्थिक क्षेत्र के आधार पर अगले 1, 5 और 10 वर्षों में वजन में होने वाले परिवर्तन को जानने के लिए एक ऑनलाइन टूल प्रदान किया। अध्ययन के सह-वरिष्ठ लेखक प्रोफेसर हैरी हेमिंग्वे कहते हैं, कोविड-19 के इस दौर में वजन बढ़ने की समस्याओं की गणना करना महत्वपूर्ण हो जाता है। कोरोना महामारी ने अप्रत्यक्ष रूप ले लोगों में इस समस्या को काफी अधिक बढ़ा दिया है।
अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि आने वाले 10 वर्षों में 65-74 आयु वर्ग वालों की तुलना में 18-24 वर्ष के लोगों के उच्च बीएमआई श्रेणी में जाने का जोखिम चार से छह गुना तक अधिक हो सकता है। इस अध्ययन के लिए 400 प्राथमिक देखभाल केंद्रों के डेटा का इस्तेमाल किया गया। इसमें 1998 से लेकर 2016 के बीच नियमित अंतराल पर लोगों के वजन और बीएमआई का डेटा तैयार किया गया। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बढ़ते हुए वजन के खतरे के लिए कई तरह के सामजिक कारकों के साथ, खान-पान और जीवनशाली में गड़बड़ी को जिम्मेदार पाया है।
अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ माइकल कैट्सौलिस (यूसीएल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ इंफॉर्मेटिक्स) कहते हैं, हमारे नतीजे स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि बीएमआई में होने वाले परिवर्तन के लिए उम्र को सबसे महत्वपूर्ण कारक माना जा सकता है। वृद्ध लोगों की तुलना में 18 से 24 वर्ष की आयु के युवाओं में बीएमआई का जोखिम अधिक होता है। इस अध्ययन के दौरान हमने यह भी पाया कि 35 से 54 वर्ष की आयु वाले जो लोग मोटापे के शिकार हैं, उन्हें वजन कम करने में अन्य वयस्कों की तुलना में ज्यादा समस्या हो सकती है।
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