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आपको अपने पसंदीदा वाहनों की डिलीवरी लेने में देरी का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल मारुति सुजुकी, महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स सहित प्रमुख भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माताओं को चिप्स की वैश्विक कमी के कारण उत्पादन में देरी का सामना करना पड़ रहा है।
आनंद महिंद्रा के नेतृत्व वाली महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M) ने सितंबर 2021 के महीने में अपने ऑटोमोटिव डिवीजन संयंत्रों में लगभग एक सप्ताह के 'नो प्रोडक्शन डेज' मनाने का फैसला किया है, जिसके परिणामस्वरूप ऑटोमोटिव डिवीजन के उत्पादन में सितंबर 2021 में 20-25% तक कमी आने का अनुमान है जो इसके राजस्व और मुनाफे को प्रभावित करेगा।
कंपनी M&M ने कहा, "कंपनी के ऑटोमोटिव डिवीजन को सेमीकंडक्टर्स की आपूर्ति की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जो दुनिया के कुछ हिस्सों में कोविड लॉकडाउन के कारण और बढ़ गया है। कंपनी प्रभाव को सीमित करने के लिए विभिन्न लागत अनुकूलन उपाय कर रही है। जैसा कि स्थिति गतिशील है, कंपनी आपूर्ति की स्थिति की सावधानीपूर्वक समीक्षा कर रही है, और प्रभाव को कम करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं।”
हालांकि, उपरोक्त घटना का XUV7OO उत्पादन रैंप-अप और लॉन्च योजनाओं पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा। XUV700 की बुकिंग शुरू होने की तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी। M&M के ट्रैक्टर संचालन, निर्यात, ट्रक और बस व्यवसाय, और तिपहिया उत्पादन उपरोक्त व्यवधान से अप्रभावित हैं।
मुंबई स्थित ऑटोमेकर का यह कदम देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया द्वारा इस सप्ताह की शुरुआत में यह घोषित किए जाने के बाद आया है कि चिप की कमी के कारण उसके दोनों संयंत्रों में उत्पादन 40% तक प्रभावित होगा।
मारुति सुजुकी ने एक बयान में कहा, "सेमीकंडक्टर की कमी की स्थिति के कारण इलेक्ट्रॉनिक घटकों की आपूर्ति की कमी की वजह से कंपनी सितंबर के महीने में हरियाणा और इसकी अनुबंध निर्माण कंपनी सुजुकी मोटर गुजरात प्राइवेट लिमिटेड (एसएमजी) दोनों में वाहन उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव की उम्मीद कर रही है। हालांकि स्थिति काफी गतिशील है, वर्तमान में अनुमान है कि दोनों स्थानों पर कुल वाहन उत्पादन की मात्रा सामान्य उत्पादन का लगभग 40% हो सकती है।"
वहीं टाटा मोटर्स ने कहा, "सेमीकंडक्टर की कमी वैश्विक स्तर पर ऑटो उद्योग को प्रभावित कर रही है। पूर्वी एशिया में हालिया लॉकडाउन ने आपूर्ति की स्थिति को खराब कर दिया है, और इसलिए टाटा मोटर्स को आने वाले महीनों में उत्पादन और ऑफटेक मात्रा को कम करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। स्थिति गतिशील है, और हम इसके प्रभाव को कम करने के लिए काम जारी रखेंगे।”
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