आज 16 अक्टूबर को वर्ल्ड स्पाइन डे (World Spine Day) है। इस दिवस को मनाने के पीछे का उद्देश्य रीढ़ की हड्डी से जुड़े रोगों के प्रति जागरूक करना है। रीढ़ की हड्डी संबंधी विकार विकलांगता के प्रमुख कारणों में से हैं। (Spine Surgeon)के अनुसार कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) का कल्चर बढ़ा है और इससे स्पाइन को खासा नुकसान पहुंच रहा है।


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पबमैड सेंटर (PubMed Centra) यानी पीएमसी लैब द्वारा हाल ही में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, वर्क फ्रॉम होम करने वाले 41.2 फीसदी लोगों ने पीठ दर्द और 23.5 फीसदी लोगों ने गर्दन में दर्द की शिकायत की है।

स्पाइनल समस्या के हैं प्रमुख कारण—
लंबी समय तक बैठना
स्पाइन यूनिवर्स (Spine Universe) के अनुसार लंबे समय तक बैठने से ग्लूटस मैक्सिमस (Gluteus Maximus) में ब्लड फ्लो प्रभावित होता है। ग्लूटस स्पाइन को सपोर्ट करने वाली मेन मसल्स है।

खराब पॉश्चर
बैठे-बैठे झुकने और मुड़ने से रीढ़ में लिगामेंट (ligament) और डिस्क (Disc) पर तनाव बढ़ता है। इसके कारण कंधों, गर्दन और पीठ में दर्द होने लगता है। इसे पुअर पॉश्चर सिंड्रोम (Poor Posture Syndrome) कहा जाता है।

मोबाइल की आदत (Mobile Addiction)
लंबे समय तक मोबाइल स्क्रीन पर काम करने और देखने के लिए सिर को बार-बार झुकाना होता है जिससें रीढ़ पर खिंचाव पड़ता है, जो स्पाइन की डिस्क को संकुचित यानी श्रिंक (Shrink) करता है।

रीढ़ को मजबूत बनाने के उपाय—
वॉक करें (Walking)
टीवी देखें तब बीच-बीच में एक मील प्रति घंटे की रफ्तार से वॉक करें। मसल्स की जकड़न घटती है और फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है।

चाइल्ड पोज योग करें
पंजों पर बैठ जाएं और हथेलियों को फर्श से सटाएं और सांस लेते हुए एक से 2 मिनट तक इसी पोजिशन में रहें। इसके बाद सांस लेते हुए पहले वाली अवस्था में आ जाएं। इसी तरह काऊ और कैट पोज भी उपयोगी है।

ब्रिज एक्सरसाइज करें (Bridge Excerise)
इसके लिए एजमीन पर लेट जाएं, पंजों पर जोर लगाते हुए अपने कूल्हों (हिप्स) को उठाकर एक सीध में करें। 10 से 15 सेकंड तक रुकें। इसके 15 मिनट के तीन सेट करें। हर एक सेट के बीच में एक मिनट का गैप रखें। इससे हिप्स की मसल्स स्ट्रॉन्ग होती है। ये लोअर बैक को सपोर्ट करती है और रीढ़ भी मजबूत होती है।