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धनतेरस के दिन पर धनवंतरि पूजन (Dhanvantari Puja 2021) किया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और कुबेर की भी पूजा की जाती है। धनतेरस के दिन लोग सोने-चांदी के अलावा बर्तन खरीदते हैं। माना जाता है कि इस दिन कोई भी खरीदा गया समान तेरह गुना लाभ देता है।
धनतेरस (Dhanteras) से जुड़ी एक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हो रहा था तब सागर की अतल गहराइयों से 14 रत्न निकले थे। भगवान धनवंतरि भी इन्हीं रत्नों मे से एक हैं। जब देवता और दानव मंदार पर्वत को मथनी बनाकर वासुकी नाग की मदद से समुद्र का मंथन कर रहे थे, तब 13 रत्नों के बाद कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को 14वें रत्न के रूप में धनवंतरि सामने आए।
धनवंतरी अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। धनवंतरि के प्रकट होते ही देवताओं और दानवों का झगड़ा शुरू हो गया। अमृत कलश के लिए देवताओं और दानवों के बीच छीना-झपटी शुरू हो गई। लेकिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धरकर अमृत कलश हासिल कर लिया।
धनवंतरि आयुर्वेद के जानकार भी थे इसलिए उन्हें आरोग्य का देवता माना जाता है। वैसे तो धन और दौलत की देवी लक्ष्मी देती हैं लेकिन उनकी कृपा पाने के लिए सेहत और लंबी आयु की जरूरत होती है। इसी वजह से धनतेरस के मौके पर धनवंतरि की पूजा की जाती है। धनवंतरि देवताओं के वैद्य हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं। इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान धनवंतरि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस तिथि को बर्तन खरीदने की परंपरा है। माना जाता है कि धनतेरस के दिन आप जितनी खरीदारी करते हैं, उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है। इसके अलावा इस दिन चांदी भी खरीदी जाती है। चांदी को चन्द्रमा का प्रतीक माना जाता है जो शीतलता प्रदान करता है। यह स्वास्थ्यकारक भी माना गया है जो निरोगी काया और तेज़ दिमाग देता है। चंद्रमा के प्रभाव से मन में संतोष के धन का वास होता है और इसे सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष और स्वास्थ्य है, उसी को सबसे धनवान माना जाता है।
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