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थोक महंगाई दर एक साल की अधिकतम ऊंचाई पर पहुंच चुकी है जिसके अब जनता की हालत खस्ता होने वाली है। इस समय पेट्रोल-डीजल की कीमतें इतिहास में सबसे ज्यादा महंगी हो चुकी हैं, LPG के दाम भी 50 रुपये बढ़ चुके हैं, प्याज और सब्जियां भी आम आदमी की थाली से दूर जाने लगी हैं।
जनवरी महीने में थोक महंगाई दर में उछाल आया है क्योंकि थोक महंगाई दर का डेटा आ गया है। जनवरी में थोक महंगाई दर 2.03 फीसदी रही है, जो कि फरवरी 2020 के बाद सबसे ज्यादा है। दिसंबर महीने में थोक महंगाई दर 1.22 फीसदी रही थी। पिछले साल जनवरी में थोक महंगाई दर (WPI) 3.52 परसेंट थी।
जनवरी की ये थोक महंगाई दर एक साल के उच्चतम स्तर पर है। इससे पहले फरवरी 2020 को थोक महंगाई दर 2.26 फीसदी रही थी। जनवरी के लिए थोक कोर इंफ्लेशन रेट 5.2 फीसदी है, जबकि इसके पिछले महीने यानी दिसंबर में ये 4.1 परसेंट पर था।
इससे पहले जनवरी के लिए खुदरा महंगाई का डेटा जारी किया गया था। जनवरी में खुदरा महंगाई दर 16 महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। जनवरी महीने के लिए खुदरा महंगाई दर 4.06 फीसदी है। दिसंबर महीने में खुदरा महंगाई दर 4.59 फीसदी रही थी, जबकि नवंबर में महंगाई दर 7.6 फीसदी रही थी। जनवरी महीने में फूड इंफ्लेशन रेट 1.89 फीसदी रहा. दिसंबर के महीने में यह 3.41 फीसदी रहा था।
इस दौरान सब्जियों और आलू की महंगाई दर -20.82 फीसदी और -22.04 फीसदी रहा। जबकि, ईंधन की महंगाई दर 4.78 फीसदी पर रहा। गैर-खाद्य वस्तुओं के भाव में 4.16 फीसदी का इजाफा हुआ है।
रिजर्व बैंक ने रिटेल इंफ्लेशन का रेंज 6 फीसदी तक रखा है। ऐसे में यह लगातार दूसरा महीना है जब रिटेल इंफ्लेशन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के दायरे के भीतर है। RBI ने रिटेल इंफ्लेशन को 4 फीसदी पर रखा है। हालांकि 2 फीसदी ज्यादा या कम का मार्जिन दिया गया है। इसका मतलब मिनिमम 2 फीसदी और मैक्सिमम 6 फीसदी के बीच रिटेल इंफ्लेशन को रिजर्व बैंक के दायरे में माना जाता है।
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