तमिलनाडु में कुन्नूर के पास बुधवार को हुई दुखद हेलीकॉप्टर दुर्घटना, जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat), उनकी पत्नी और 11 अन्य सैन्य कर्मियों की मौत हो गई, ने 2014 की दुर्घटना की यादें ताजा कर दी है। 2014 में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) (IAF) के वरिष्ठ अधिकारी सी-130जे सुपर हरक्यूलिस विमान के ग्वालियर हवाई अड्डे के पास दुर्घटनाग्रस्त (Super Hercules Crash) होने के बाद मारे गए थे।

दुर्घटना में सभी पांच भारतीय वायुसेना कर्मियों की मौत हो गई थी और मलबा राजस्थान में करौली जिले के पास मध्य प्रदेश-राजस्थान सीमा पर बिखरा हुआ पाया गया था। भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के अधिकारियों ने बताया कि दुर्घटना में मारे गए वायुसेना के अधिकारियों में विंग कमांडर प्रशांत जोशी (Wing Commander Prashant Joshi), विंग कमांडर राजी नायर, स्क्वाड्रन लीडर कौशिक मिश्रा, स्क्वाड्रन लीडर आशीष यादव (नेविगेटर) और वारंट ऑफिसर कृष्णपाल सिंह (फ्लाइट इंजीनियर) शामिल थे। विमान ने नियमित उड़ान प्रशिक्षण मिशन के लिए आगरा से उड़ान भरी थी।

घटना पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी या कैग) की रिपोर्ट के अनुसार, नए सी-130जे सुपर हरक्यूलिस विमान (C-130J Super Hercules Aircraft) के दुर्घटनाग्रस्त होने के मुख्य कारणों में अपर्याप्त प्रशिक्षण था। रिपोर्ट में कहा गया है, जांच में दुर्घटना के कारणों में से एक के रूप में चालक दल के अपर्याप्त अनुभव और प्रशिक्षण को सूचीबद्ध किया गया है और उपचारात्मक उपायों में से एक के रूप में जल्द से जल्द सी-130 जे30 के लिए सिम्युलेटर के संचालन की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर 2012 में सिम्युलेटर की स्थापना के बावजूद, उपयोग अनुबंध को अंतिम रूप नहीं देने के कारण पायलटों को साढ़े तीन साल से अधिक समय तक प्रशिक्षण नहीं दिया जा सका। रिपोर्ट में कहा गया है, सिम्युलेटर स्थापित किया गया था, लेकिन भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) द्वारा उपयोग दर अनुबंध (रेट कॉन्ट्रैक्ट) को अंतिम रूप नहीं देने के कारण उपयोग में नहीं लाया जा सका। उपयोग दर अनुबंध पर अगस्त 2016 में हस्ताक्षर किए गए थे और सिम्युलेटर पर प्रशिक्षण वास्तव में नवंबर 2016 में शुरू हुआ।