तिरुवनंतपुरम। केरल में कोरोना महामारी (corona epidemic in kerala) के दौरान व्हाट्सऐप और टेलीग्राम (whatsapp and telegram) पर बच्चों को निशाना बनाने वाले पोर्न समूहों की संख्या में वृद्धि हुई है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और साइबरडोम नोडल अधिकारी मनोज अब्राहम ने रविवार को बताया कि समस्या की गंभीरता को समझते हुए, साइबरडोम के तहत कार्यरत केरल पुलिस सीसीएसई (Countering Child Sexual Abuse) टीम ने अपराधियों को पकडऩे के लिए एक विशेष अभियान 'पी-हंट' (P-hunt) शुरू किया है। 

उन्होंने कहा कि पी-हंट (P-hunt) अभियान के माध्यम से पुलिस की कार्रवाई के कारण आरोपी अब वीडियो देखते हैं और पहचाने जाने से बचने के लिए विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग करके उसे डिलीट कर देते हैं। उन्होंने कहा कि अपराधियों ने हर तीन दिन में अपने फोन को फॉर्मेट करना भी शुरू कर दिया है। कुछ मामलों में वायरस का प्रयोग कर पीड़तिों के वेबकैम को चालू करने और बच्चों की जानकारी चुराने की भी सूचना मिली है। उन्होंने बताया कि जिला पुलिस अधीक्षकों की निगरानी में 16 जनवरी की सुबह से पूरे राज्य में एक साथ छापेमारी की गयी। 

अभियान के दौरान 161 दर्ज मामलों में 186 उपकरणों को जप्त किया गया , जिनमें मोबाइल फोन, मोडेम, हार्ड डिस्क, मेमोरी कार्ड, लैपटॉप, कंप्यूटर आदि शामिल हैं। जप्त उपकरणों में बच्चों की अवैध तस्वीरें और वीडियो हैं। सबसे ज्यादा हैरान करने वाला पहलू यह है कि कई वीडियो/तस्वीरें पांच वर्ष से 16 वर्ष के स्थानीय बच्चों की लगती हैं। उन्होंने बताया कि जब्त किये गए उपकरणों की आधार पर 10 गिरफ्तारियां की गईं। गिरफ्तार किये गए लोगों में अच्छी पेशेवर नौकरियों में काम करने वाले युवा शामिल हैं और उनमें से अधिकतर आईटी जानकार हैं। 

यही वजह है कि वे सामग्री अपलोड और डाउनलोड करने के लिए सभी प्रकार के एन्क्रिप्टेड हैंडल का उपयोग कर रहे थे। इनमें से कुछ पर बच्चों की तस्करी में शामिल होने का भी संदेह है क्योंकि उनके उपकरणों में ऐसी कई चैट मौजूद हैं। इन तस्वीरों और वीडियो को प्रसारित करने में शामिल बाकी लोगों का विवरण एकत्र किया जा रहा है। 

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (Additional Director General of Police) ने कहा कि इन मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति को जारी रखते हुए रैकेट में शामिल सभी व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उल्लेखनीय है कि वर्तमान कानून के अनुसार किसी भी बाल अश्लील सामग्री को देखना, वितरित करना या संग्रहीत करना एक अपराध है। इसके परिणामस्वरूप 5 साल तक की कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।