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एनएससी और पीपीएफ जैसी छोटी बचत योजनाओं में 90,000 करोड़ रुपये के साथ बंगाल की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। यह इन योजनाओं में कुल जमा के करीब 15 फीसद है। आबादी के लिहाज से सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश 69,660.70 करोड़ रुपये के साथ दूसरे, महाराष्ट्र 63,025.59 करोड़ रुपये के साथ तीसरे और गुजरात 48,645.28 करोड़ रुपये के साथ चौथे स्थान पर है। वित्त मंत्रालय के अधीन नेशनल सेविंग्स इंस्टीट्यूट की ओर से 2017-18 के अपडेट आंकड़ों से यह तस्वीर सामने आई है।
लघु बचत योजनाओं में पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी), सुकन्या समृद्धि योजना व अन्य कई स्कीमें आती हैं, जिनमें देशभर में बड़ी संख्या में लोग पैसा डालते हैं। मंत्रालय हर तिमाही के अंत में इन योजनाओं के लिए ब्याज दरों का एलान करता है। बुधवार को मंत्रालय ने इन पर मिलने वाली ब्याज दरों में कटौती का आदेश जारी कर दिया था, जिसे गुरुवार को वापस ले लिया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह ट्वीट करते हुए फैसले को वापस लेने का एलान किया कि आदेश गलती से जारी हो गया था। वित्त मंत्री ने चालू तिमाही में पिछली दरें ही लागू रहने का भरोसा दिलाया है। छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कटौती का फैसला इतनी जल्दी वापस लिए जाने को कई जानकार बंगाल और असम समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों से जोड़ रहे हैं। इन बचत योजनाओं में बंगाल की हिस्सेदारी भी दिखाती है कि ऐसा कोई फैसला सरकार के लिए राजनीतिक रूप से मुश्किल खड़ी कर सकता है।
नेशनल सेविंग्स इंस्टीट्यूट के डाटा के मुताबिक, पिछले कुछ साल से छोटी बचत योजनाओं में बंगाल की हिस्सेदारी 12 से 15 फीसद के आसपास है, जो अन्य राज्यों से अधिक है। 2017-18 में इन योजनाओं में कुल जमा 5.96 लाख करोड़ रुपये था, जिसमें बंगाल से करीब 90 हजार करोड़ रुपये थे। अन्य चुनावी राज्यों में असम की 9,446.37 करोड़ रुपये, केरल की 14,763.01 करोड़ रुपये, पुडुचेरी की 1,082.40 करोड़ रुपये और तमिलनाडु की 28,598.18 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी 2017-18 में थी।
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