पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP), तृणमूल कांग्रेस (TMC) की जबरदस्त टक्कर हो रही है। सभी की निगाहें पश्चिम बंगाल पर टिकी हुई है। भाजपा को बंगाल में स्थापित करने वालों में टीएमसी के पूर्व नेता 66 वर्षीय मुकुल रॉय की नीतियों पर बीजेपी बंगाल में टीएमसी को टक्कर दे रही है। बंगाल में मुकुल रॉय बीजेपी के चाणक्य कहे जा रहे हैं। मुकुल रॉय अब भाजपा के बंगाल अभियान के हर फ्रेम का हिस्सा बन गए हैं।

बंगाल में रॉय बीजेपी के लक्ष्य 200 पार पर काम कर रहे हैं। मुकुल रॉय कांग्रेस से अलग होने के बाद ममता बनर्जी के संगठन जनवरी 1998 में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की थी। रॉय दिल्ली में पार्टी का चेहरे बन कर उभरे और साल  2006 में  उन्हें महासचिव बनाया गया और राज्य सभा पहुंच गए। शारदा घोटाले में रॉय का नाम आने के बाद रॉय और ममता आखिरकार 2015 में अलग हो गए थे क्योंकि सितंबर 2017 में रॉय को तृणमूल से छह साल के लिए निलंबित कर दिया गया था। रॉय नंवबर 2017 में बीजेपी में हुए शामिल हुए थे।

बंगाल की राजनीति के 'चाणक्य' कहे जाने वाले मुकुल रॉय ने 2017 से राज्य में बीजेपी को आधार बनाने में मदद की। बीजेपी पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीतने का श्रेय मुकुल रॉय को दिया जाता है। बताया जा रहा है कि मुकुल रॉय द्वारा भाजपा में लाए गए नेताओं में तृणमूल विधायक सोवन चटर्जी और सब्यसाची दत्ता और सुनील सिंह, बिस्वजीत दास, विल्सन चंपामारी और मिहिर गोस्वामी के अलावा उनके बेटे और विधायक सुब्रंग्सु रॉय हैं। मुकुल रॉय की नीतियों से प्रभावित ममता बनर्जी के खास नेता शुभेंदु अधिकारी तृणमूल नेता को भी बीजेपी में शामिल कराया है।