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16 दिसंबर भारत में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है, इस दिन भारत ने 1971 में पाकिस्तान पर युद्ध में जीत दर्ज की थी और 90,000 से ज्यादा पाक सैनिकों को बंदी बना लिया था. पूर्वी पाकिस्तान स्थित पूर्वी कमान द्वारा भारतीय पूर्वी कमान के जन.आफ़िसर कमाण्ड-इन चीफ़ लेफ़्टि-जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा और पाक पूर्वी कमान के कमाण्डर, लेफ़्टि.जन नियाज़ी के बीच रमणा रेसकोर्स, ढाका में समर्पण अभिलेख पर हस्ताक्षर हुए.
भारतीय लेफ़्टि.जन.अरोड़ा द्वारा समर्पण अभिलेख पर बिना कुछ बोले हस्ताक्षर कर दिये गए. समर्पण होने पर भारतीय सेना ने लगभग 90000 से अधिक पाक सैनिक एवं उनके बंगाली सहायकों को युद्धबंदी बना लिया. यह द्वितीय विश्व युद्ध से अब तक का विश्व का सबसे बड़ा समर्पण माना जाता है. एक रिपोर्ट के अनुसार हमुदूर रहमान आयोग एवं युद्धबन्दी जांच आयोग की रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान द्वारा सौंपी गयी युद्धबन्दियों की सूचियों में सैनिकों के अलावा 15000 बंगाली नागरिकों का नाम था.
2 जुलाई 1972 को भारत-पाकिस्तानी वार्ता हिमाचल प्रदेश में शिमला में आयोजित किया गया था, भारत में शिमला समझौता पर हस्ताक्षर किए गए थे और राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो और प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के बीच हर राज्य की एक सरकार एक डिपॉजिटरी भूमिका निभाते थे. इस संधि ने बांग्लादेश को बीमा प्रदान किया था कि पाकिस्तान ने पाकिस्तानी सैनिकों की वापसी के बदले बांग्लादेश की संप्रभुता को मान्यता दी थी क्योंकि भारत 1925 में जेनेवा कन्वेंशन के अनुसार युद्ध कैदियों के साथ व्यवहार कर रहा था.
केवल पांच महीनों में भारत ने लेफ्टिनेंट-जनरल एए.के. के साथ व्यवस्थित रूप से 9 0,000 से अधिक युद्ध कैदियों को जारी किया. नियाज़ी पाकिस्तान को सौंपे जाने वाले अंतिम युद्ध कैदी हैं. इस संधि ने 13,000 वर्ग किमी से भी ज़्यादा जमीन वापस कर दी जो युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान में जब्त की थी, हालांकि भारत ने कुछ रणनीतिक क्षेत्र (तुरतुक, थांग , त्याक्षी (पूर्वी तियाक़ी) और चोरबत घाटी के चुलुंका सहित) को बरकरार रखा, जो कि 804 वर्ग किमी से अधिक था.
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