उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा पुरातत्व सर्वेक्षण कराए जाने के जिला अदालत फैसले के खिलाफ मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक तत्काल याचिका दायर की है। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के स्थायी वकील पुनीत कुमार गुप्ता ने दलील दी कि ट्रायल कोर्ट ने अवैध रूप से और बिना किसी अधिकार क्षेत्र के आदेश पारित किया है, क्योंकि यह मामला हाईकोर्ट के समक्ष है और न्यायमूर्ति प्रकाश पांडिया ने इस वर्ष 15 मार्च को आदेश सुरक्षित रखा था।

गुप्ता ने संवाददाताओं से कहा, हमने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ आज (मंगलवार) इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया और याचिका दायर की है। इससे पहले वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन समिति अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष एक तत्काल याचिका दायर कर वाराणसी की एक स्थानीय अदालत द्वारा 8 अप्रैल को सुनाए गए उस फैसले पर रोक लगाने की मांग की है, जिसके तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा पूरे परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण किए जाने की अनुमति दी गई है।

सोमवार को दायर अपनी याचिका में प्रबंधन समिति ने कहा है कि इस आदेश को बिना किसी नियम के अवैध ढंग से पारित किया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता फरमान अहमद नकवी और सैयद अहमद फैजान द्वारा दायर अंजुमन इंतेजामिया की याचिका में कहा गया है कि निचली अदालत ने उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 और सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 की संपूर्ण लिखित प्रस्तुतियों और प्रयोज्यता को अनदेखा कर दिया है। अंजुमन इंतेजामिया के वकील फरमान अहमद नकवी ने कहा, ‘‘हमने याचिका दायर की है और अदालत से अनुरोध किया है कि वह तत्काल प्रभाव से इस पर सुनवाई करें क्योंकि मामला गंभीर है।’’

याचिका में कहा गया है कि इस मामले पर इलाहाबाद कोर्ट का फैसला पहले से ही सुरक्षित है, लेकिन वाराणसी की अदालत विपरीत पक्ष की बातों को सुन रही है। बता दें कि ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओं को पूजा पाठ करने का अधिकार देने आदि को लेकर वर्ष 1991 में मुकदमा दायर किया गया था। मामले में निचली अदालत व सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ 1997 में हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में सिविल जज सीनियर डिविजन (फास्ट ट्रैक कोर्ट) आशुतोष तिवारी की अदालत ने पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया है। आठ अप्रैल को दिए गए आदेश में अदालत ने पांच सदस्यीय कमेटी गठित करने का भी निर्देश दिया था और कहा था कि इसमें दो अल्पसंख्यक जरूर हों। सर्वेक्षण से संबंधित कार्य एएसआई की ओर से नियुक्त पर्यवेक्षक की निगरानी में होगा।