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लोकतंत्र में दिए गए समानता के अधिकार का एक नजारा खजनी ब्लॉक में देखने को मिला, जहां रिक्शा चला कर अपने परिवार की जीविका चलाने वाला गांव का प्रधान चुना गया। पंचायती चुनाव के शुरू होते ही बहुत से रोचक और अजब-गजब नजारे देखने को मिल रहे हैं। रविवार को मतगणना का परिणाम आने के बाद भी कुछ ऐसे ही सुखद और रोचक मामले सामने आए हैं, जहां लोकतंत्र की खूबसूरती का एक और नजारा देखने को मिला।
खजनी ब्लॉक के सतुआभार गांव के रहने वाले रिक्शा चालक घुघई प्रधान निर्वाचित हुए हैं। जानकारी के मुताबिक, गांव की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। गांव के कुछ संभ्रांत लोगों ने रिक्शा चलाकर अपने परिवार की जीविका चलाने वाले 60 वर्षीय घुघई को चुनाव लड़ने की सलाह दी। गांव वालों का उन्हें भरपूर समर्थन मिला और वह 339 मतों से चुनाव जीत गए। क्षेत्र के लोगों में इस बात की खूब चर्चा है।
वहीं, चुनाव जीतने के बाद घुघई का कहना है कि मैं थोड़ा कम पढ़ा लिखा हूं, इसलिए रिक्शा चलाकर अपने और अपने परिवार का पेट पालता हूं । गांव वालों ने चुनाव लड़ने की सलाह दी और उनके सहयोग और समर्थन से मैं चुनाव जीत गया। अब मुझ पर परिवार की जिम्मेदारी के साथ गांव के लोगों की भी जिम्मेदारी का बोझ आ गया है। मैं आशा करता हूं, जैसा चुनाव जीतने के लिए गांव वालों ने मेरा समर्थन किया, आगे भी उनके समर्थन और सहयोग से अपनी जिम्मेदारी को पूरा कर सकूं।
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