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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Union Minister Jyotiraditya Scindia) ने एक बार फिर अपने आलोचकों को चारों खाने चित्त कर दिया। बीजेपी में आने के बाद सिंधिया का कार्यप्रणाली ने पार्टी के भीतर और बाहर लोको कहने पर मजबूर कर दिया है कि सिंधिया राजनीति के मजे हुए नेता हैं जिन्होंने अपनी परंपराओं के निभाने के साथ ही विरोधियों को बिना बोले ऐसी पटकनी देते है कि लोग उस पर प्रतिक्रिया भी नहीं दे पाते।
ग्वालियर में रविवार को ऐसा ही चौकाने वाला वाकया हुआ जिसके बाद सियासी गलियारों में खलबली सी मच गई। सिंधिया ने अचानक महारानी लक्ष्मीबाई की समाधिस्थल पर पहुंचकर बड़े ही सहज अंदाज में पुष्प अर्पित किए। वह यहां करीब 5 मिनिट तक रुके भी रहे। उनका लक्ष्मीबाई की समाधि पर जाना इसलिए चर्चा का विषय बन गया कि कुछ बीजेपी के ही नेताओं की राजनीति सिंधिया परिवार को रानी लक्ष्मीबाई के विरोधी के रूप में प्रस्तुत किया जाता था। ये नेता पानी पी-पीकर में अंग्रेजों का साथ देने के गंभीर आरोप लगाते रहे हैं।
सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद कांग्रेस और बीजेपी के भीतर कुछ नेता लगातार सवाल उठा रहे कि क्या सिंधिया बीजेपी की रीति नीति के अनुसार ढल पाएंगे और कभी रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर जाएंगे। आखिरकार सिधिंया राजघराने से 164 साल बाद पहली बार कोई सदस्य रानी लक्ष्मीबाई की समाधी पर पहुंचा है। अब रानी लक्ष्मीबाई के समाधिस्थल पर पहुंचकर सिंधिया ने एक तीर से कई निशाने लगा दिए है।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अचानक रानी लक्ष्मीबाई की सामाधि पर जाने को लेकर कई अर्थ निकाले जा रहा हैं। सिंदिया के इस कदम कांग्रेसी भी चौंक गए वहीं बीजेपी के भी कई नेता और उनके समर्थक हैरान रह गए हैं। सिंधिया ने अपने इस दांव से विरोधियों को पूरी तरह चित्त तो कर ही दिया है अब सिंधिया को घेरने के लिए राजनीति में मुद्दा ही खत्म कर दिया है। राजनीति में बयानबाजी और भ्रष्टाचार जैसे आरोप इस परिवार कभी नहीं लगे हैं। राजनीति में संतुलित बयान देने वाले सिंधिया परिवार के सदस्यों को केवल रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर घेरा जाता रहा है। सिंधिया के इस कदम से अब यह मुद्दा भी विरोधियों के हाथ से छिन गया है।
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