भारत सरकार ने विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ जुटाने का लक्ष्य रखा है जिसके तहत कई चीजों को बेचा जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए यह ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि मौजूदा वित्त-वर्ष में सरकार विनिवेश के लक्ष्य से काफी दूर है। जबकि इस वित्त वर्ष के अब केवल दो महीने ही बचे हैं। ऐसे में संभावना कम है कि सरकार को विनिवेश के मोर्चे पर इस साल कोई बड़ी कामयाबी मिल जाए।

बजट में ऐलान के साथ ही सरकार ने नए वित्त वर्ष में पौने दो लाख करोड़ रुपये विनिवेश से जुटाने का लक्ष्य रखा है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में करीब 35 हजार करोड़ रुपये कम है। अगले वित्त वर्ष में BPCL, एअर इंडिया, कॉनकोर और SCI के विनिवेश पर मुहर लग सकती है।

वित्त मंत्री ने बताया कि LIC का आईपीओ अगले वित्त वर्ष में लाने का प्लान है। इसके अलावा शेयर बाजार में तेजी को देखते हुए केंद्र सरकार कुछ CPSE में हिस्सेदारी भी ऑफर फॉर सेल (OFS) के ​जरिए बेच सकती है। वहीं अन्य प्राइवेटाइजेशन डील्स भी वित्त वर्ष 2022 तक पूरा होने का अनुमान है।

कोरोना संकट की वजह से विनिवेश की राह में कई चुनौतियां आ गई हैं। सरकार ने पिछले बजट में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 2.1 लाख करोड़ रुपये विनिवेश के जरिये जुटाने का ऐलान किया था। लेकिन अभी तक के विनिवेश के आंकड़ों पर गौर करें तो चालू वित्त वर्ष में विनिवेश का आंकड़ा करीब 30-40 हजार करोड़ रुपये तक ही पहुंच सकता है, जोकि पिछले 5 साल में सबसे कम होगा।

मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार ने जो लक्ष्य रखा था, उसे पाना बेहद मुश्किल है। मौजूदा वित्त-वर्ष में अधिकतम 20 फीसदी तक ही विनिवेश का लक्ष्य हासिल हो सकता है क्योंकि कई कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार फैसले ले चुकी है।

मौजूदा वित्त वर्ष में अब तक विनिवेश के जरिये सरकार को केवल 17,958 करोड़ रुपये हासिल हुए हैं। जो कि विनिवेश के लक्ष्य का महज 8.5 फीसदी है। इसके अलावा सरकार ​ने विदेश संचार निगम लिमिटेड में अपने बाकी बचे हुए 26.12 फीसदी की हिस्सेदारी टाटा कम्युनिकेशंस को बेच​ दिया है जिससे सरकार को इसी वित्त वर्ष में 8,000 करोड़ रुपये मिल जाएंगे।