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कोरोना महामारी के कारण भारत में अब तक लाखों लोगों की जान चली गई है। वहं बीमारी से बचने के लिए लॉकडाउन जैसी पाबंदियों से लाखों लोगों बेरोजगार हो गए हैं। लोगों के सामने जीविका का चलाने का संकट पैदा हो गया है। पिछले साल हुए लॉकडाउन के बाद जनता जैसे-तैसे उबर पाई थी कि फिर लॉकडाउन होने से पूरे देश में बेरोजगारी का संकट गहरा गया है। देश में बेरोजगारी दर भी तेजी से बढ़ रही है।
9 मई को समाप्त सप्ताहांत में 8.67 फीसदी के साथ चार महीने के शीर्ष पर पहुंच गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि गांवों के मुकाबले शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। पिछले हफ्ते शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी दर 1.64 फीसदी बढ़कर 11.72 फीसदी पहुंच गई। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर लगातार नीचे रही। ग्रामीण बेरोजगारी दर 7.29 फीसदी थी जो उसके एक हफ्ते पहले 7.35 फीसदी और चार अप्रेल को 8.58 फीसदी थी। सीएमआईई के एमडी महेश व्यास ने बताया कि लॉकडाउन सीधे तौर पर तो बेरोजगारी नहीं बढ़ा रहा , लेकिन इससे भारतीय अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है और रोजगार के मौके घटते जा रहे हैं।
वहीं कोरोना के प्रकोप के बीच जनता को खुदरा महंगाई में राहत मिलने की उम्मीद है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सब्जियों और खराब होने वाले पदार्थों की कीमतों में नरमी से अप्रेल में खुदरा महंगाई घटकर तीन महीने के निचले स्तर पर आ सकती है। सर्वे के अनुसार, यह आरबीआई के तय 4 फीसदी के लक्ष्य से थोड़ा अधिक है। मार्च में खुदरा कीमतों पर आधारित महंगाई चार महीने में सबसे अधिक 5.52 फीसदी थी।
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