अफगानिस्तान में तालिबान राज आते ही वहां सबकुछ तहस नहस हो चुका है। लेकिन इसके साथ ही अब रूस बेहद आक्रामक हो चुका है और अपने एक पड़ौसी देश को बर्बाद करने पर तुल गया है। यह देश कोई और नहीं बल्कि उसी से अलग होकर नया देश बना यूक्रेन है। युद्ध की आशंका को देखकर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदेमाएर जेलेंस्की ने कहा है कि रूस के साथ युद्ध एक 'दुर्भाग्यपूर्ण' संभावना है और इसे रोकने के लिए वे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक करना चाहेंगे। जेलेंस्की से याल्टा यूरोपियन रणनीति(YES) शिखर सम्मेलन में पूछा गया था कि क्या वाकई यूक्रेन की रूस के साथ भीषण युद्ध की संभावना है। लेकिन लगता है कि इस युद्ध में भारत हमेशा की तरह तठस्था की नीति अपनाएगा।

जेलेंस्की ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मैं जानता हूं कि ये बहुत खराब होगा लेकिन दुर्भाग्य से ऐसी संभावना बनी हुई है। उन्होंने इससे पहले एक स्वतंत्र ऑनलाइन अखबार के साथ बातचीत में कहा था कि मुझे लगता है कि अगर ऐसा होता है तो ये रूस की बहुत बड़ी गलती होगी।

उन्होंने कहा कि ये एक डरावना परिदृश्य है लेकिन दुर्भाग्य से इसकी संभावना बनी हुई है और ये एक ऐसा खतरा हो सकता है जहां से वापसी करना नामुमकिन होगा। गौरतलब है कि रॉयटर्स न्यूज एजेंसी के मुताबिक, रूस ने यूक्रेन पर शांति वार्ता में दिलचस्पी खोने के आरोप लगाए हैं वहीं जेलेंस्की लगातार पुतिन के साथ बातचीत पर जोर दे रहे हैं।

लेंस्की ने कहा कि ईमानदारी से कहूं तो मेरे पास पुतिन के बारे में सोचने का समय नहीं है। हालांकि मैं इस बात में ज्यादा रुचि रखता हूं कि क्या पुतिन के साथ हमारी मुलाकात वास्तव में पर्याप्त रूप से हो सकती है जिसमें आपसी रिश्तों के बारे में खुलकर बात की जा सके क्योंकि इसके अलावा हमारी किसी भी तरह की मुलाकात में दिलचस्पी नहीं है जैसा वे कुछ देशों के साथ करते रहे हैं।

गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष, जिसे इससे पहले 'अघोषित युद्ध' बताया गया है, वो सात वर्षों से चल रहा है और ये पहले ही हजारों लोगों की जान ले चुका है। साल 2014 में इसकी शुरुआत हुई थी जब रूस ने क्राइमिया प्रायद्वीप का विलय कर लिया था। इससे पहले तक क्राइमिया यूक्रेन का हिस्सा था।

ये रूस द्वारा उठाया गया एक ऐसा कदम था जिसे अभी तक कई पश्चिमी ताकतों द्वारा मान्यता नहीं दी गई है। इसके बाद ये संघर्ष यूक्रेन के पूर्वी हिस्से तक फैल गया था। डोनबास नाम के इस क्षेत्र में रूस, रूसी समर्थक अलगाववादियों का समर्थन करता आया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बॉर्डर के पास रूस लगातार हजारों सैनिकों की तैनाती कर रहा है।

साल 2014 में यूक्रेन में आई क्रांति के चलते देश के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद रूस ने यूक्रेन में हस्तक्षेप करके क्राइमिया में रूसी सेना भेजी और उसे अपने कब्जे में ले लिया। रूस ने इसके लिए हमेशा ये तर्क दिया कि इस क्षेत्र में रूसी मूल के लोग बहुत अधिक संख्या में हैं और उनके हितों और अधिकारों की रक्षा करना रूस की जिम्मेदारी है।

पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थित अलगाववादी विद्रोही और यूक्रेन की सेना के बीच झड़प लंबे वक्त से जारी है। हाल के महीनों में यूक्रेन के डोनबास में रूसी समर्थित अलगाववादी और यूक्रेन की सेना के बीच संघर्ष बढ़ा है। यूक्रेन का कहना है कि इस संघर्ष के चलते साल 2014 से अब तक पूर्वी यूक्रेन में 14 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।