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नोटबंदी की तरह मोदी सरकार की अब एक और बड़ी स्कीम फेल होने के कगार पर आ चुकी है। यह स्कीम इतनी बड़ी है कि करोड़ लोग इससे जुड़े हुए हैं। केंद्र सरकार की यह महत्वकांक्षी उज्जवला योजना है जिसके तहत हर घर में गैस सिलेंडर पहुंचाया जा रहा है, लेकिन अब यह स्कीम फेल होती जा रही है। इसके पीछे का कारण रसोई गैस सिलेंडर के दाम बढ़ना है। कीमतों में वृद्धि के कारण लोग दूसरी बार सिलेंडर नहीं भरवा रहे हैं।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि केंद्र सरकार की उज्जवला स्कीम के तहत 96 फीसदी परिवारों को रसोई गैस की सुविधा उपलब्ध है लेकिन उज्जवला लाभार्थी खाना पकाने के लिए लकड़ियां के इस्तेमाल पर लौट रहे हैं, जिसके चलते सितंबर से इसके दाम में 10 फीसदी का इजाफा हो चुका है। लाखों ग्रामीण परिवारों ने सिलिंडर दोबारा नहीं भरवाए बल्कि लकड़ियों का इस्तेमाल फिर शुरू कर दिया है।
LPG के दाम में 25 फीसदी का इजाफा होना इसके पीछे का कारण। दिल्ली में फिलहाल बिना सब्सिडी वाला सिलिंडर 859 रुपये में मिल रहा है, जो अगस्त में 575 रुपये का हुआ करता था। यानी महज 6 महीने में एलपीजी के दाम में 284 रुपये का इजाफा। दाम में सबसे ज्यादा बढ़त दिल्ली चुनाव के बाद दर्ज की गई। एकबारगी इसके दाम 145 रुपये बढ़ गे। महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में हुए चुनाव के एक महीने बाद रसोई गैस के दाम में 77 रुपये का इजाफा हुआ था। जैसे-जैसे एलपीजी के दाम बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे फायरवुड भी महंगा होता जा रहा है।
दिसंबर 2018 तक 5.92 करोड़ परिवारों के पास उज्जवला स्कीम के तहत गैस कनेक्शन थे। जून 2019 तक के रीफिल आंकड़े देखेंसतो पता चलता है कि इसमें से 24.6% परिवारों ने सिलिंडर दोबारा नहीं भरवाए। 18% परिवार ऐसे हैं जिन्होंने 1 या 2 बार रीफिलिंग करवाई, 11.7 फीसदी ने 3 बार गैस भरवाई और 46 फीसदी ऐसे हैं जिन्होंने 4 या इससे ज्यादा बार रीफिलिंग करवाई
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