कोरोना मरीजों में ऑक्‍सीजन कम होने पर खतरा बढ़ जाता है जिसके चलते एंबुलेंस बुलाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में यदि आपको भी ऐसी ही जरूरत पड़ जाए तो आपको ये जरूर पता होना चाहिए कि आपको कौन सी एंबुलेंस बुलानी है। यहां हम आपको बता रहे हैं इससे जुड़ी हर जानकारी...

कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप अभी तक कम नहीं हुआ है। अस्‍पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्‍या में भी बहुत गिरावट नहीं आई है। अब तक के आंकड़ों के अनुसार कोरोना पॉजिट‍िव होने वाले 85 प्रतिशत लोग घर पर ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन 15 प्रतिशत कोरोना पेशेंट को अस्‍पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है। ये वो समय होता है जब आपको अपने क‍िसी पर‍िजन को अस्‍पताल ले जाना होता है। उस वक्‍त आपके जेहन में सबसे पहले आती है एंबुलेंस। कोरोना मामलों में खासकर लोग एंबुलेंस के सहारे ही मरीजों को ले जाते हैं।

कोरोना पॉजिटिव होने के बाद मरीज होम आइसोलेशन में अपना इलाज कराते हैं। फिर भी अगर लगातार पांच दिनों तक तेज बुखार, सांस लेने में दिक्कत हो और ऑक्सीजन सेचुरेशन 90 से कम होने लगे। इसके अलावा मरीज में बेचैनी, घबराहट, न्यरोलॉजिकल डिस्टरबेंस जैसे मेमोरी में डिस्टरबेंस, सिर में बहुत तेज दर्द, अचेतन की अवस्था जैसे लक्षण आएं तो मरीज को तत्‍काल अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होती है।

अब वो समय है जब आप एंबुलेंस के टॉल फ्री नंबर जैसे 108 या किसी नजदीकी अस्‍पताल के एमरजेंसी में फोन करके एंबुलेंस की सुविधा मांगें। इसके लिए आपको फोन करके एमरजेंसी एंबुलेंस मंगानी होगी। ये सबसे कॉमन एंबुलेंस होती है जिसमें ऑक्‍सीजन से लेकर एक मेडिकल स्‍टाफ की मदद भी शामिल होती है। ये रोड वैन से लेकर बोट, हेलीकाप्‍टर या एअर एंबुलेंस के तौर पर भी भारत में बनाई गई हैं।

कोरोना काल में भारत में एंबुलेंस वेंटीलेटर की मांग बहुत बढ़ी है। कई निजी कंपनियां पहले से भी ये सर्व‍िस दे भी रही हैं। लेकिन इस दौरान इनकी मांग कई गुना ज्‍यादा बढ़ी है। ये वो एंबुलेंस होती हैं जो कंपलीट आईसीयू बैकअप के साथ तैयार होती हैं। इसमें एडवांस लाइफ सपोर्ट से जुडे सभी संसाधन मौजूद होते हैं। हालांकि ये एंबुलेंस एमरजेंसी एंबुलेंस से काफी महंगे हैं और सीधे शब्‍दों में कहा जाए तो आम आदमी की पहुंच से काफी आगे।

डॉक्‍टरों का कहना है कि कोरोना मरीजों के लिए एमरजेंसी एंबुलेंस सबसे मुफीद विकल्‍प होता है, अगर आप प्राइवेट संस्‍था से एमरजेंसी एंबुलेंस की सुविधा ले रहे हैं तो उनसे पहले ऑक्‍सीजन की पड़ताल जरूर कर लें। वहीं अगर आपके घर में कोई पेशेंट पहले से ऑक्‍सीजन सपोर्ट पर है तो आप उनके लिए वैन एंबुलेंस या कार एंबुलेंस भी बुला सकते हैं। इसमें आप फ्लाई कार सर्विस भी ले सकते हैं। इस वैन में आप मरीज को ऑक्‍सीजन सपोर्ट के साथ ले जा सकते हैं।

बहुत से लोगों को लगता है कि जब देश में एंबुलेंस को लेकर इतनी मारामारी है तो वो पेशेंट को खुद की कार या किसी अन्‍य साधन से अस्‍पताल ले जाएं, लेकिन ऐसे लोगों को सलाह है कि वो पहले एंबुलेंस ही प्रिफर करें। क्‍योंकि अगर आपको इस खराब सूरत-ए-हाल में कहीं क‍िसी नजदीक के हॉस्‍प‍िटल में बेड नहीं मिलता है तो आप मरीज को कहीं और ले जा सकते हैं।

मरीजों को ले जाने के लिए एंबुलेंस इसलिए भी जरूरी होती है क्‍योंकि इन वाहनों के लिए रोड पर अलग प्रोटोकॉल होता है। अगर आप मरीज को लेकर जल्‍दी से अस्‍पताल में भर्ती कराना चाहते हैं तो एंबुलेंस से ले जाना बेहतर विकल्‍प है। इसके पीछे की वजह ये है क‍ि एंबुलेंस को ये इजाजत होती है कि वो रेड लाइट से लेकर जाम तक  वाले इलाकों में भी बिना रुके अस्‍पताल में पहुंचा देंगे।

भारत में एंबुलेंस सेवा सामान्‍य तौर पर छह तरह की होती हैं। इसमें सबसे पहले है बेसिक एंबुलेंस, ये वो एंबुलेंस है जो रोजमर्रा के दिनों में मरीज के सीरियस होने पर बुलाई जाती है। इस एंबुलेंस को बुलाने का उद्देश्‍य जल्‍द से जल्‍द मरीज को अस्‍पताल पहुंचाना होता है।

वहीं दूसरे टाइप में एडवांस एंबुलेंस आती हैं जो एमरजेंसी एंबुलेंस भी कही जाती हैं। कोरोना काल में इनकी डिमांड सबसे ज्‍यादा बढ़ी है। ये एंबुलेंस एडवांस मेडिकल संसाधनों वाली होती है, इसमें ऑक्‍सीजन समेत ये सुविधा होती है कि रास्‍ते से ही इलाज शुरू हो सके।

इसके अलावा मॉर्चरी एंबुलेंस मृतकों के लिए इस्‍तेमाल होती है जोकि काफी साधारण होती है। इसके अलावा नवजात बच्‍चों के लिए न्‍यूनेटल एंबुलेंस होती है जिसमें बच्‍चों को लेकर काफी सुविधा दी जाती है। इसके अलावा पेशेंट ट्रांसपोर्ट व्हीकल पांचवां प्रकार का होता है जिससे मरीज को एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं। वहीं छठी प्रकार में एअर एंबुलेंस हैं जो एक शहर से दूसरे शहर में इलाज के लिए यात्रा में मदद करती हैं।